सोशल मीडिया पर फर्जी न्यूज रेग्युलेट करने के लिए याचिका पर केंद्र को सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर केंद्र सरकार और टि्वटर इंडिया को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा है कि कई फर्जी टि्वटर अकाउंट बना कर झूठी खबरें फैलाई जा रही है और नफरत वाले कंटेप्ट और सामग्री सोशल मीडिया पर डाली जा रही है ऐसे संदेशों को रोकने के लिए रेग्युलेशन बनाया जाए और मैकेनिज्म तय की जाए। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने याचिकाकर्ता विनित गोयनका की अर्जी पर केंद्र और टि्वटर कम्युनिकेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी किया है और जवाब दाखिल करने को कहा है।
याचिकाकर्ता की ओर से दाखिल अर्जी में कहा गया है कि कई लोग नामचीन लोगों के नाम पर फर्जी टि्वटर और फेसबुक अकाउंट खोलकर आपत्तिजनक कंटेंट डालते हैं। झूठी खबरें सोशल मीडिया पर फैलाते हैं। ऐसे में सोशल नेटवर्किंग साइट पर नफरत वाले कंटेंट और झूठी खबरों पर रोक के लिए रेग्युलेशन बनाए जाने की जरूरत है और मैकेनिज्म होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी करते हुए ऐसे ही पेंडिंग अन्य मामले के साथ इस मामले को भी जोड़ दिया है।
इससे पहले एक फरवरी को फर्जी न्यूज और नफरत वाले कंटेंट को कथित तौर पर फैलने से रोकने के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार बनाते हुए उसे रेग्युलेट करने के लिए कानून बनाए जाने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर मामले को पहले से पेंडिंग याचिका के साथ टैग कर दिया था।
इससे भी पहले से दाखिल याचिका में कहा गया है कि मीडिया, चैनल और नेटवर्क के खिलाफ शिकायत के लिए मीडिया ट्रिब्यूनल बनाया जाना चाहिए और उस मामेल में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है। पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता विनित जिंदल ने कहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफर्म पर नफरत वाले फर्जी न्यूज फैलाने के लिए जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
याचिका में कहा गया था कि ऐसा मैकेनिज्म होना चाहिए कि फर्जी न्यूज खुद ब खुद चंद समय में हटा दिया जाए। याचिका में कहा गया था कि विचार अभिव्यक्ति का अधिकार जटिल अधिकार है और इसमें वाजिब रोक है। ये पूर्ण अधिकार नहीं है और इस अधिकार के साथ जिम्मेदारी भी तय की गई है।
साभार : नवभारत टाइम्स