सुनील जोशी हत्याकांड में साध्वी प्रज्ञा सिंह समेत आठ आरोपी बरी
देवास। मध्य प्रदेश के चर्चित सुनील जोशी हत्याकांड में देवास की अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह सहित आठों आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बुधवार को बरी कर दिया। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश राजीव एम. आप्टे ने फैसला सुनाते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) और औद्योगिक थाना पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाए।
29 दिसंबर 2007 को संघ के पूर्व प्रचारक जोशी की बालगढ़ के चूनाखदान क्षेत्र में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मामले में पहले पुलिस ने खात्मा रिपोर्ट लगा दी थी, लेकिन बाद में फिर प्रकरण खोला गया। बुधवार दोपहर करीब 1.40 बजे केस से बाइज्जत बरी होते ही वहां मौजूद चार पीडि़तों और उनके परिजनों की आंखें नम हो गई।औद्योगिक थाना पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ सुनील जोशी उर्फ गुजी उर्फ मनोज की हत्या का केस दर्ज किया था।
एक साल की जांच के बाद 2008 में खात्मा रिपोर्ट लगा दी गई थी। फिर कई हिस्सों में हुए बम धमाकों में सुनील जोशी का नाम आने और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के देवास में सक्रिय होने के बाद अचानक जून 2010 में पुलिस ने फिर से मामले की जांच शुरू कर दी। जांच के बाद साध्वी प्रज्ञा सिंह, हर्षद उर्फ मुन्ना उर्फ राजा, वासुदेव परमार, आनंदराज कटारिया, रामचरण पटेल के खिलाफ हत्या सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया गया। उस समय प्रज्ञा मुंबई के जेजे अस्पताल में मकोका कोर्ट की अभिरक्षा में थी, जबकि हर्षद अजमेर जेल में बंद था।
दोनों समेत आनंदराज, वासुदेव व रामचरण की गिरफ्तारी के बाद 28 फरवरी 2011 को अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया। 2011 में केस एनआइए को ट्रांसफर हुआ और बाद में एनआइए ने जितेंद्र शर्मा निवासी महू, राजेंद्र चौधरी निवासी देपालपुर व लोकेश शर्मा निवासी महू को आरोपी बनाया। केस की सुनवाई भोपाल की विशेष कोर्ट में हुई, लेकिन विशेष कोर्ट ने केस सत्र न्यायालय मप्र के क्षेत्राधिकार का होने से देवास कोर्ट ट्रांसफर कर दिया।