शहला मसूद मर्डर केस, सरकारी गवाह छोडक़र सभी को उम्र कैद
इंदौर। आरटीआई कार्यकर्ता शहला मसूद मर्डर केस में शनिवार को इंदौर की CBI कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, जिसमें सरकारी गवाह को छोडक़र सभी को उम्र कैद की सजा सुनाई गई। यह मामला अगस्त 2011 का है, जहां पर भोपाल में शहला मसूद की गोली मारकर हत्या कर दी गई। फैसले में सरकारी गवाह इरफान को छोडक़र शेष चारों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है।
CBI ने इस मर्डर केस को अंजाम देने तथा षड्यंत्र के आरोप में 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। 16 अगस्त 2011 को मर्डर होने के करीब साढ़े 5 वर्ष बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। प्रदेश के इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड की अंतिम सुनवाई विशेष न्यायाधीश बीके पालौदा की अदालत में हुई। अदालत ने 19 से 25 जनवरी के मध्य सभी पाचों आरोपियों और CBI को अपने अंतिम तर्क रखने के आदेश दिए थे, उसके बाद 28 को फैसला देना तय किया था। जो अब दिया जा चुका है।
शनिवार को लंच से पहले मर्डर केस पर फैसला सुनाया गया। शहला मसूद के मर्डर में CBI ने जाहिदा परवेज, सबा फारुकी, सुपारी किलर शाकिब डेंजर, ताबिश तथा इरफान को आरोपी बनाया था। पांचों आरोपियों पर भारतीय दंड विधान की धारा 302, 120, 201 और 120 बी के तहत प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इसमें से इरफान को छोडक़र शेष चारों को उम्र कैद की सजा दी गई है।
गौरतलब है कि आरोपितों को CBI ने फरवरी 2012 में गिरफ्तार किया था। तभी से सभी आरोपित जेल में हैं। CBI अदालत के अलावा हाई कोर्ट से भी इन्हें जमानत नहीं मिली। जाहिदा तथा सबा की कई बार जेल बदली जा चुकी है। CBI के कहने पर आरोपी इरफान सरकारी गवाह बन गया था और उसने अदालत के समक्ष स्वीकार किया था कि ताबिश तथा शाकिब ने ही शहला मसूद को गोली मर हत्या कर दी थी।