मुंबई हमले की बरसी पर मोदी का पाकिस्तान को कड़ा संदेश, मुंहतोड़ जवाब देना जानता है भारत
26/11 मुंबई हमले की बरसी पर पीएम मोदी ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि यह नई नीति और रीति का भारत है, जो हर आंतकी हमले का मुंहतोड़ जवाब देना जानता है। गुजरात के केवड़िया में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के दो दिवसीय सम्मेलन के समापन के मौके पर वर्चुअल तरीके से पीठासीन अधिकारियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने जहां का जिक्र किया, वहीं वह 12 साल पहले हुए मुंबई हमले का जिक्र करना नहीं भूले।
भारत मुंबई हमले को नहीं भूलेगा
मुंबई हमले को उन्होंने भारत पर हुआ सबसे बड़ा आतंकी हमला करार देते हुए कहा कि भारत इस हमले के जख्म को कभी नहीं भूल सकता। पीएम ने पाकिस्तान को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पाकिस्तान से भेजे गए आंतकियों ने मुंबई पर हमला बोला, जिसमें तमाम लोगों की जान गई। उन्होंने इस हमले में मारे गए सभी मृतकों को श्रद्धांजिल देने के साथ आतंक के खिलाफ लड़ने वाले और आतंकी गतिविधियों को नाकाम करने वाले सुरक्षा बलों का भी अभिनंदन किया। उन्होंने भारत के खिलाफ आंतकी साजिश को चलाने वाले पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि यह नई नीति, नई रीति का भारत है, जो हर हमले का मुंहतोड़ जवाब दे रहा है।
पीठासीन अधिकारी संविधान के सुरक्षा कवच
पीएम मोदी ने पीठासीन अधिकारियों को संविधान के सुरक्षा कवच का प्रहरी करार देते हुए संविधान दिवस पर आयोजित इस सम्मेलन को एक अनूठा संगम करार दिया। इस मौके पर उन्होंने आम लोगों के बीच संविधान की समझ और जानकारी व्यापक होने पर भी जोर दिया। वहीं उन्होंने अपने संबोधन में वन नेशन, वन इलेक्शन की सोच पर जोर देते हुए कहा कि पूरे देश में एक ही चुनाव होना चाहिए। वन नेशन, वन इलेक्शन को देश की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सिर्फ चर्चा या विचार विमर्श की चीज भर नहीं है, बल्कि जरूरत है।
हमारे यहां हर साल चुनाव होते रहते हैं, जिससे विकास व अन्य जरूरी काम पीछे छूट जाते हैं। इस मौके पर उन्होंने लोकसभा से लेकर विधानसभाओं व स्थानीय निकायों तक एक ही वोटर लिस्ट के इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि हम इन लिस्ट पर समय और पैसा क्यों बर्बाद कर रहे हैं?
डैम का काम रुकवाने के लिए कांग्रेस पर हमला
सरदार सरोवर डैम का जिक्र करते हुए उन्होंने विकास की बड़ी बड़ी परियोजनाओं को लंबे समय तक लटकाने की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर भी जमकर हमला बोला। पीएम मोदी का कहना था कि आज इस डैम का लाभ गुजरात के साथ ही मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के लोगों को हो रहा है। लेकिन इस डैम का काम बरसों तक अटका रहा। जनहित व विकास के कामों का इतने समय तक लटकना ठीक नहीं। कांग्रेस पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह काम पहले भी हो सकता था, लेकिन जिन लोगों के चलते यह हुआ, उन्हें इसका कोई पछतावा नहीं है। उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं है। पीएम का कहना था कि देश को इस प्रवृत्ति से निकालना होगा। उनका कहना था कि हमारे निर्णय का आधार सिर्फ राष्ट्रहित होना चाहिए। जब विचारों में देशहित और लोकहित की बजाय राजनीति हावी होती है तो उसका नुकसान देश को उठाना पड़ता है।
सरदार को नहीं मिला वह सम्मान, जिसके थे हकदार
केवड़िया में सरदार पटेल का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि सरदार को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वो उन्हें नहीं मिला। इस मौके पर उन्होंने देश की सबसे पुरानी पाटी कांग्रेस को सुनाते हुए कहा कि सदन की तरह ही देश में एक ही भाव की जरूरत होती है, जहां राजनैतिक छुआछूत की कोई गुंजाइश नहीं होती। इस मौके पर एक ओर पीएम ने विधायिका से पुराने कानूनों को हटाने के लिए सक्रिय होने की अपील की, वहीं उन्होंने विधायिका के कामकाज में ज्यादा से ज्यादा तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दिया।
पुराने और बेकार कानून खत्म हो
मोदी का कहना था कि वक्त के साथ जो कानून आज अपना महत्व खो चुके हैं, उन्हें खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उनका कहना था कि क्यों कोई ऐसी व्यवस्था नहीं बन सकती, जिसमें पुराने संशोधनों की तरह पुराने कानून भी अपने आप खत्म होते रहें। वहीं उन्होंने विधायिकाओं को पूरी तरह से डिजिटल बनाने पर जोर देते हुए कहा कि आम आदमी के पास हर सदन के कामकाज का डाटा होना चाहिए और देश के हर सदन के पास भी ऐसा डाटा होना चाहिए।
पुराने कानूनों को लेकर संसद खासी गंभीर
इस मौके स्पीकर ने कहा कि पुराने कानूनों को लेकर संसद खासी गंभीर है, इसके लिए लगातार कोशिश की जा रही है। कई ऐसे कानून हैं, जो आज के समय में अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं, ऐसे में उन्हें हटाया जाना जरूरी है। वहीं स्पीकर ने बताया कि पिछले सम्मेलन में दल बदल कानून को लेकर बनाई गई कमिटि की रिपोर्ट उन्हें मिल गई है। जिसे देख कर वह इस बारे में उचित कदम उठाएंगे। उल्लेखनीय है कि यह कमिटि राजस्थान के स्पीकर सी पी जोशी की अध्यक्षता में बनाई गई थी। स्पीकर ने बताया कि इस बार उन्होंने विधानसभाओं के वित्तीय अधिकारों को लेकर सी पी जोशी की अध्यक्षता में एक और कमिटि किया गया है। उनका कहना था कि इसकी रिपोर्ट आने के बाद राज्य सराकारों से इस बारे में विचार -विमर्श किया जाएगा।
दलगत राजनीति से ऊपर उठकर करें काम
समापन सत्र में स्पीकर ने कहा कि कोरोना काल जैसी विषम परिस्थतियों के बावजूद देश के संविधान की 71वीं सालगिरह पर बीस पीठासीन अधिकारियों ने इस सम्मेलन में जिस तरह से शिरकत की, वह अपने आप में महत्वपूर्ण है। स्पीकर ने राष्ट्रनायकों का उदाहरण सामने रखते हुए पीठासीन अधिकारियों से अपील कि वे भी उन्हीं राष्ट्रनायकों की तरह दलगत राजनीति से ऊपर उठकर नागरिकों के अधिकारों के हितों की रक्षा और देशहित के लिए काम करें। उन्होंने कहा हम चाहे किसी भी राजनीतिक दल से चुनकर आए। हमारा उद्देश्य जनता के हित तथा संसदीय प्रणाली के सशक्त मूल्यों को स्थापित करना है। जिसके बाद सम्मेलन में पहुंचे सभी स्पीकर्स ने एक सुर में जनहित काम करने की बात कही।
हर साल लोकतंत्र उत्सव का आयोजन किया जाएगा
सम्मेलन में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया है कि हर साल लोकतंत्र उत्सव का आयोजन किय़ा जाएगा, राष्ट्रीय सर्वश्रेष्ठ विधायिका पुरस्कार देने के साथ ही नागरिकों में मौलिक कर्तव्यों और संविधान के प्रति जागरूकता संबंधी कार्यक्रम चलाए जाएंगे। इसमें मूक संसद जैसे प्रयोग भी शामिल रहेंगे। उल्लेखनीय है कि मूक संसद का सुझाव पीएम मोदी की ओर से आया था। जबकि केरल विधान मंडल की ओर से आए लोकतंत्र के उत्सव के सुझाव में कहा गया कि पहले विधान मंडलों में उत्सव हों, उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर इसे आयोजित किया जाए। विधानमंडलों में होने वाले नए प्रयोगों व इनोवशन को देखने के लिए एक कमिटि बनाई गई, जो हर साल इसका फैसला कर किसी एक को पुरस्कृत करेगी।
संविधान दिवस पर शपथ
संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केवड़िया में लौह पुरुष सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टच्यू ऑफ यूनिटी के सान्निध्य में देशभर से आए तमाम पीठासीन अधिकारियों को संविधान की मूल प्रस्तावना की शपथ दिलाई। इस मौके पर स्पीकर ओम बिरला व उपसभापति हरिवंश भी मौजूद थे।
साभार : नवभारत टाइम्स