सरकारी स्कूलों से ही देश को मिली कई महान विभूतियां : डॉ. रमन सिंह
रायपुर:मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह आज यहां साईंस कॉलेज मैदान में आयोजित तीन दिवसीय रायपुर जिला स्तरीय ‘लईका मड़ई‘ के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा- देश की अधिकांश महान विभूतियों ने सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करके ही देश और दुनिया में अपना नाम रौशन किया है। डॉ. सिंह ने इस सिलसिले में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर और देश के प्रसिद्ध रक्षा वैज्ञानिक तथा पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का उदाहरण दिया। मुख्यमंत्री ने कहा-आज भी बोर्ड परीक्षाओं की मेरिट सूची में सरकारी स्कूलों के बच्चों का ही परचम लहराता नजर आता है। सरकारी स्कूलों के बच्चों में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। सिर्फ उन्हें प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री आज शाम यहां शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के मैदान में सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए आयोजित तीन दिवसीय ’लईका मडई’ के समापन समारोह को मुख्य अतिथि की आसंदी से सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग और रायपुर जिला प्रशासन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। मुख्यमंत्री ने बच्चों की प्रतिभाओं को निखारने केे लिए आयोजित लईका मड़ई को स्कूल शिक्षा विभाग का एक नया प्रयोग बताया और कहा कि इसके माध्यम से खेल और कला-संस्कृति के क्षेत्र में बच्चों की प्रतिभा खिलकर सामने आयी है। यह लईका मडई वास्तव में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का एक अनूठा संगम है। डॉ. सिंह ने मंच पर नन्हें बच्चों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को भी देखा और उनका उत्साह बढ़ाया। उन्होंने लईका मड़ई के सफल आयोजन के लिए स्कूल शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों तथा आयोजन में सहभागी बने स्कूली बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों को बधाई दी। मुख्यमंत्री ने आयोजन की विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कार भी वितरित किए। समारोह में लोक निर्माण मंत्री श्री राजेश मूणत तथा आंरग के विधायक श्री नवीन मारकण्डेय भी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आगे कहा कि-शासकीय स्कूल से पढ़कर बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर देश के संविधान निर्माता बने तो डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम मिसाइल मेन और देश के राष्ट्रपति बने। मेरिट में शासकीय स्कूल के बच्चों का ही परचम रहता है। उन्होंने बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि यदि योग्यता, आत्मविश्वास और ललक हो तो जीवन में हर मुकाम को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने श्री ओ.पी.चौधरी का उदाहरण देते हुए कहा कि वो एक छोटे से गांव के सरकारी स्कूल में पढ़कर आज रायपुर जिले के कलेक्टर के दायित्वों का निर्वहन कर रहे है। मुख्यमंत्री ने कहा कि परंपरागत पढ़ाई तो स्कूलों की कक्षाओं में होती ही है परंतु उसमें परिवर्तन व नवाचार करते हुए अपने स्कूल और कक्षा को मॉडल के रूप में स्थापित करना महत्वपूर्ण होता है। लईका मड़ई में शिक्षकों ने ‘‘कबाड़ से जुगाड़‘‘ (वेस्ट ऑफ बेेस्ट) से जो नवाचारों को प्रस्तुत किया है वो सराहनीय पहल है। लोक निर्माण मंत्री श्री राजेश मूणत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पहली बार राजधानी में इस तरह का अनूठा आयोजन हुआ है। संसाधनों के अभाव के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के छात्र-छात्राओं ने बेहतर खेल प्रतिभा व सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति इस आयोजन में दी है। कलेक्टर श्री ओ.पी.चौधरी ने बताया कि तीन दिनों तक चले इस लईका मड़ई में स्कूली छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षकों ने भी खेल व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। उन्होंने बताया कि 200 शिक्षकों ने अभिनव प्रयोगों पर आधारित प्रदर्शनी इसमें लगाई थी जिसमें 150 शिक्षकों को पुरस्कृत भी किया जा रहा है। इस अवसर पर पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति श्री एस.के.पाण्डेय सहित स्कूल शिक्षा विभाग, जिला पंचायत और जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।