ट्रंप हारे भी तो नहीं होगा बुश-क्लिंटन जैसा अंजाम, बाइडेन के लिए बनेंगे बड़ा खतरा
उनकी इस ‘प्रतिज्ञा’ को आमतौर पर इसी रूप में लिया जाता है कि ट्रंप अपनी जीत को लेकर हद से ज्यादा आश्वस्त हैं। ट्रंप के आलोचक तो उन्हें उसी नाइजीरिया में बस जाने की सलाह देने लगे हैं, जहां के लिए ट्रंप ने चुनाव के दिन ट्वीट किया था कि यहां उनके समर्थक Trump2020 गाना गा रहे हैं।
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हालांकि इन सब बातों को अलग रख दें तो यह साफ है कि डोनाल्ड ट्रंप भले ही जीतें या हारें, वो कहीं नहीं जा रहे हैं। ट्रंप हारते भी हैं तो 2020 में वह 2016 से बेहतर स्थिति में हैं और उनका जनाधार बढ़ा है। बाइडेन जीतते भी हैं तो ट्रंप अमेरिकी इतिहास के अब तक के सबसे प्रभावशाली ध्रुवीकरण करने वाले नेता रहेंगे। यह कहना पूरी तरह सही होगा कि अमेरिका ने इससे पहले दूसरा ट्रंप नहीं देखा होगा।
बुश-क्लिंटन की तरह नहीं हैं ट्रंप, जिम्मेदारियों से मुक्त होने पर होंगे और खतरनाक
आमतौर पर जो प्रेसिडेंट दो कार्यकाल पूरे कर लेते हैं या प्रेसिडेंसी के दौरान बतौर कैंडिडेट हार जाते हैं, वे सक्रिय राजनीति से दूर होते चले जाते हैं और अपनी आत्मकथा लिखते हैं। क्लिंटन, बुश, ओबामा इसके उदाहरण हैं। हालांकि ट्रंप के साथ ऐसा नहीं होने वाला है। इसके विपरीत डेमोक्रेटिक गलियारों को अभी से पोस्ट-प्रेसिडेंशियल ट्रंप (राष्ट्रपति पद से हटने के बाद के ट्रंप) के अवतार की चिंता सताने लगी है।
‘बाइडेन के राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप ऐक्शन में आएंगे’
एक डेमोक्रेटिक कार्यकर्ता ने बताया, ‘अगर बाइडेन जीतते हैं और जनवरी में राष्ट्रपति बनते हैं तो मानकर चलिए कि उसके तुरंत बाद ही ट्रंप की रैलियां भी शुरू हो जाएंगी।’ उन्होंने कहा कि वाइट हाउस और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स तो डेमोक्रेट के हाथ में होंगे, मगर सेनेट के रिपब्लिकन्स के हाथ में होने से ट्रंप को मजबूती मिलेगी।
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हारे तो 2024 की तैयारियों में जुटेंगे ट्रंप
कई राजनीतिक पंडितों का यह भी अनुमान है कि हार के बाद ट्रंप 2024 के चुनावों की तैयारियों में जुट जाएंगे। 2024 में ट्रंप 78 साल के होंगे, जनवरी में राष्ट्रपति बनने तक बाइडेन की भी यही उम्र होगी। इसके साथ ही ट्रंप अपने बच्चों और खासतौर पर इवांका ट्रंप को भी 2024 के चुनाव में अहम जिम्मेदारी सौंप सकते हैं।