क्या सुन्नी इस्लाम का प्रमुख नेता बनना चाहते हैं एर्दोगन? भड़का रहे फ्रांस के साथ तनाव
तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैय्यप एर्दोगन ऐसे ही नहीं फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार का समर्थन कर रहे हैं। इसके पीछे वे खुद को सुन्नी इस्लाम के बड़े नेता के तौर पर खुद को स्थापित करने की चाहत लिए हुए हैं। उन्होंने तो कुछ दिनों पहले फ्रांसीसी राष्ट्रपति को दिमागी जांच तक करवाने की सलाह दे दी थी। सोमवार को भी सरकारी टीवी चैनल पर एर्दोगन ने नागरिकों से फ्रांसीसी-लेबल वाले सामान नहीं खरीदने का आग्रह किया था।
पहली बार फ्रांस पर नहीं भड़के एर्दोगन
ऐसा नहीं है कि तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन पहली बार फ्रांस पर भड़के हैं। उन्होंने पहले भी ग्रीस का समर्थन करने और भूमध्य सागर में फ्रांसीसी सेना की तैनाती पर जमकर गुस्सा दिखाया था। एर्दोगन तो फ्रांस पर युद्ध भड़काने तक का आरोप लगा चुके हैं। तुर्की ने सीधे शब्दों में कहा था कि इस क्षेत्र में सेना को तैनात कर फ्रांस बस तनाव को और बढ़ाएगा।
अतातुर्क के मूल्यों को बदल रहे एर्दोगन?
तुर्की रिपब्लिक की नींव रखने वाले मुस्तफा कमाल अतातुर्क उर्फ मुस्तफा कमाल पाशा ने धर्म को खत्म करते हुए यूरोप से प्रेरणा लेना शुरू किया था। इस्लामिक कानून (शरिया) की जगह यूरोपीय सिविल कोड्स आ गए, संविधान में धर्मनिरपेक्षता को शामिल किया गया, समाज में महिला-पुरुष को एक करने की कोशिश की और एक मुस्लिम बहुल देश की शक्ल बदल दी। हालांकि, देश में डेढ़ दशक से ज्यादा सत्ता में रहने वाले राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दुआन ने धीरे-धीरे अतातुर्क के एक मुस्लिम लोकतंत्र के आदर्श देश को बदलना शुरू कर दिया।
इस्लाम पर अतातुर्क ने लगाई थी पाबंदी
अतातुर्क तुर्की की परंपरा और संस्कृति का इस तरह से प्रचार करते थे कि लोगों के मन में राष्टट्रवाद से ज्यादा वैश्विक मुस्लिम समुदाय की भावना जागे। वह कमालिज्म (Kemalism) के आदर्श पर धर्मनिरपेक्ष लोगों के साथ सरकार चलाते थे। उन्होंने जिस राजनीतिक और कानून व्यवस्था की नींव रखी थी, उसके आधार पर उन्होंने मुस्लिमों को कुछ भी ऐसा करने की आजादी नहीं दी जिससे धार्मिक जमीन, रेवेन्यू जैसे मुद्दों पर उनका असर हो सके। यहां तक कि इस्लाम का समर्थन करने वाले राजनेताओं पर नकेल कसने के लिए कानून भी बना डाले।
भूमध्य सागर पर कब्जा करने का सपना देख रहे एर्दोगन
एर्दोगन भूमध्य सागर के गैस और तेल से भरे क्षेत्र पर तुर्की का कब्जा करना चाहते हैं। इसलिए आए दिन तुर्की के समुद्री तेल खोजी शिप कभी ग्रीस तो कभी साइप्रस के जलसीमा में घुस रहे हैं। इसी को लेकर ग्रीस और तुर्की में तनाव इतना बढ़ गया था कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच जंग के हालात बन गए थे। वहीं, फ्रांस समेत यूरोपीय यूनियन के कई देश ग्रीस का समर्थन भी कर रहे हैं।
मुसलमानों का मसीहा बनना चाहते हैं एर्दोगन
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन दुनिया में मुसलमानों का नया मसीहा बनना चाहते हैं। ऐसे में उन्हें जहां भी मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी दिखता है वे तुरंत कूद पड़ते हैं। फ्रांस ने हाल में ही एक शिक्षक की गला काटकर हत्या करने की घटना के बाद से मुस्लिम कट्टरपंथियों के खिलाफ एक अभियान चलाया हुआ है। इससे एर्दोगन को फ्रांस के खिलाफ जहर उगलने का मौका मिल गया।