कोरोना से निपटने में न्यूजीलैंड की PM जसिंडा बनीं मिसाल, चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत
कोरोना वायरस के खिलाफ देश को जंग जिताने वाली न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जसिंडा आर्डर्न () ने भारी बहुमत के साथ चुनाव में भी जीत दर्ज की है। यह चुनाव पहले 19 सितंबर को होने वाला था, लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। देश के इतिहास में इतनी विशाल जीत किसी पार्टी को पहली बार इतनी विशाल जीत मिली है और इसी के साथ जसिंडा एक बार फिर देश की कमान संभालने के लिए तैयार हैं।
50 साल में सबसे ज्यादा समर्थन
आर्डर्न की सेंटर-लेफ्ट लेबर पार्टी 87% वोट में से 48.9% वोट मिले। जसिंडा ने जीत के बाद कहा है कि देश ने लेबर पार्टी को 50 साल में सबसे ज्यादा समर्थन दिखाया है। उन्होंने कहा कि देश के सामने अभी कठिन वक्त आने वाला है लेकिन पार्टी हर देशवासी के लिए काम करेगी। मुख्य विपक्षी दल नैशनल पार्टी को सिर्फ 27% वोट मिले जो 2002 के बाद से उसका सबसे खराब प्रदर्शन है।
दुनियाभर में चर्चित रहीं जसिंडा
जसिंडा अपने कार्यकाल में कई कारणों से दुनियाभर में चर्चित रहीं और दूसरे देशों के नेताओं को उनसे सीखने की नसीहत दी जाती रही। न्यूजीलैंड में उनके कार्यकाल में आतंकी हमले से लेकर प्राकृतिक आपदाओं ने कहर मचाया और आखिर में कोरोना वायरस की महामारी से सामना भी करना पड़ा। इन सभी से सफलता से निपटने के लिए जसिंडा की काफी सराहना की गई। खासकर, जब दुनिया के बड़े-बड़े देश कोरोना की महामारी के सामने घुटने टेक रहे हैं, तब देश से उसे गायब करना उनकी जीत का एक बड़ा कारण बताया जाता है।
एकतरफा बहुमत पहली बार
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, पिछली बार संसदीय चुनाव 23 सितंबर, 2017 को हुआ था। बीते 6 सितंबर को संसद को भंग कर दिया गया, ताकि चुनाव के लिए आधिकारिक रूप से मार्ग प्रशस्त हो सके। 1996 में मिक्स्ड मेंबर प्रोपर्शनल रिप्रेजेंटेटिव (एमएमपी) के रूप में जानी जाने वाली संसदीय प्रणाली की शुरुआत से ही अभी तक किसी भी पार्टी ने न्यूजीलैंड में एकतरफा बहुमत नहीं जीता है।
ऑकलैंड विश्वविद्यालय की प्रफेसर जेनिफर कर्टिन ने बीबीसी को बताया कि पूर्व में भी ऐसी ही परिस्थितियां रही हैं, जहां एक नेता के बहुमत हासिल करने की पूरी संभावना थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, ‘जब जॉन की नेता थे, तो ऑपिनियन पोल ने उनके 50 प्रतिशत वोट पर अपनी संभावना जताई थी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।’