कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की समुचित जांच के लिये राज्यपाल को सौपा ज्ञापन
रायपुर। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की समुचित जांच के लिये राज्यपाल को ज्ञापन सौपा गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि हम सब छत्तीसगढ़ के आरक्षित वर्ग के विधायकगण आपसे सादर अनुरोध करना चाहते है कि मरवाही विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। किंतु फर्जी जाति प्रमाण के आधार पर पूर्व में स्व. अजीत जोगी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिये आरक्षित सीट मरवाही विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे। स्व. जोगी के जाति प्रमाण पत्र को हाई पावर कमेटी द्वारा दिनांक 23.08.2019 को निरस्त किया गया है।
उपरोक्त परिस्थतियों में स्व. अजीत जोगी के जाति संबधी प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण उनके पुत्र अमित जोगी एवं उनके परिवार के किसी भी सदस्य को अनुसूचित जनजाति वर्ग का सदस्य नहीं माना जा सकता है। स्व. अजीत जोगी के द्वारा उपरोक्त प्रमाण पत्र निरस्तीकरण के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में याचिका में लंबित है ओर वह रद्ध (Abate)हो चुका है क्योकि जोगी की मृत्यु हो चुकी है। महोदय उपरोक्त जोगी परिवार प्रारंभ से ही छ.ग. की जनता को गलत प्रमाण पत्र एवं झूठे तथ्यों के आधार पर अपने आप को आदिवासी बताते हुए छलावा करते रहे है। अब वर्तमान में उनका पुत्र भी उसी राह में अग्रसर है, तथा ऋचा रूपाली साधु पिता प्रवीण राज साधु जाति क्रिश्चियन (ईसाई) ग्राम पेन्ड्रीडीह, उप तहसील जरहागांव जिला मुंगेली जो कि अब स्व. अजीत के पुत्र अमित जोगी की पत्नी है और वह एक फर्जी जाति प्रमाण पत्र निर्मित करवाकर अपने आप को आदिवासी बताने तथा जनता को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।
ऋचा रूपाली जोगी एवं उनके परिवार के सदस्यों ने पढ़ाई के दौरान किसी भी जाति प्रमाण पत्र में अपने आप को आदिवासी वर्ग का नही बताया है एवं उक्त परिवार के नाम दर्ज भूमि आदिवासी मद में दर्ज नही है, साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि ऋचा रूपाली जोगी के पैतृक परिवार के लोग आदिवासी समाज के लोगो के साथ संव्यवहार नही रखते है इससे भी यह प्रमाणित होता है कि वे आदिवासी समुदाय से संबंध नही रखते है और उनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त किये जाने योग्य है।ऋचा जोगी ने आवेदन पत्र ऑनलाइन फॉर्मेट में दिया है जो कि अपने आप में विश्वसनीय तथा संभाव्य प्रतीत नहीं होता है एवं वह प्रमाण पत्र प्रथम दृष्टया अनुचित प्रतीत होता एवं सत्यतता से परे दिखता है, जिसकी जांच किया जाना अनिवार्य है। प्रारूप – 1 क के तहत भरा गया फार्म में समुचित जानकारी नहीं दर्शाई गई है तथा अनिवार्य बिंदुओं को खाली छोड़ दिया गया है एवं किस आधार पर जाति आदिवासी होने का दावा कर रहे हैं, इसका कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है और न ही आवेदन फार्म में उनका हस्ताक्षर है।
ऋचा जोगी के कथित आवेदन पत्र में वर्ष 1950 के पूर्व परिवार सदस्यों के निवास स्थान तथा संपूर्ण विवरण नहीं दिया है और वह फर्जी आधारों पर झूठे तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए आवेदन प्रस्तुत किया जाना प्रतीत हो रहा है, जिसका वैधता संदेह के दायरे में हैं और जांच का विषय है।पटवारी जांच प्रतिवेदन में दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर न होकर आवेदन द्वारा बताए गये जानकारी अनुसार असत्य जानकारी भरी गई है तथा आवश्यक जानकारी के कॉलम को रिक्त रखा गया है। जानबूझकर झूठी और गलत जानकारी दी जाकर पटवारी प्रतिवेदन बनाया गया है जो प्रथम दृष्टया गलत प्रमाणित हो रहा है स्थल पंचनामा भी असत्य आधारों पर बनवाया गया प्रतीत होता है, जो कि रूपाली साधु के नाम न होकर सुशील साधू के नाम पर प्रथम दृष्टया दिखता है एवं वर्ष 1924-28 के मिसल बंदोबस्त के आधार पर भी प्रवीण राज आत्मज सुशील कुमार आत्मज बी. साधु आत्मज प्रभु दास गोंड जाति दर्ज नहीं है एवं मिसल बंदोबस्त के अनुसार वह परिवार पेण्ड्रीडीह का प्रतीत नहीं होता है। पेण्ड्रीडीह के खसरा नंबर -32/1 जो कि अधिकार अभिलेख के रूप में दर्शाया गया है उसमें जाति के कॉलम को खाली रखा गया है और कहीं भी गोंड जाति अंकित नहीं है। ऋचा रूपाली साधु गोंड जाति से संबंध नहीं है एवं ऋचा जोगी के हाईस्कूल एवं हायर सेकंडरी की अंकसूची में कही जाति गोंड अंकित नहीं है जिसकी जांच की आवश्यकता है तथा जिन दस्तावेजों को संलग्न किए गए हैं वे प्रथम दृष्टया ही संदेहास्पद प्रतीत हो रहे हैं।
आवेदन पत्र प्रार्थीया के द्वारा भरा नहीं गया है उसे गिरधर मानिकपुरी के द्वारा भरा गया है अर्थात यह जाति प्रमाण पत्र असत्य एवं झूठा प्रथम दृष्टया ही साबित हो जाता है तथा विश्व सुशील साधु के प्रकरण में भी उनके 5वीं अंकसूची में क्रिश्चियन लिखा है, गोंड नहीं लिखा गया है।स्व. अजीत जोगी के द्वारा फर्जी रूप से जाति प्रमाण पत्र प्राप्त किए जाने की तरह मेल खाता है तथा उसी आधार पर बनाया गया है और प्रथम दृष्टया ही, यह प्रमाणित होता है कि जानबूझकर झूठा प्रमाण पत्र बनाकर निजी लाभ के लिए उपयोग में लाने का प्रयास किया जा रहा है।ऋचा रूपाली साधु के पिता वन विभाग में रेंजर के पद पर कार्यरत थे परंतु कहीं भी उनकी जाति गोंड नहीं लिखी गई है न ही उन्होने ऐसा कोई प्रमाण पत्र दर्शाया है, बल्कि वरिष्ठता सूची के क्रमांक – 133 में सामान्य श्रेणी अंकित है एवं ऋचा जोगी के द्वारा अकलतरा विधानसभा चुनाव के समय जो जमीन का विवरण दिया गया था उन्हें भुईया वेबसाईट से देखने व निकाले जाने पर जाति का कॉलम खाली छूटा हुआ है और गोंड जाति कहीं अंकित नहीं है अर्थात ये लोग एवं इनका परिवार गण आदिवासी जाति से संबंध्दता नहीं रखते हैं और अब जान बूझकर अपने आप को फर्जी आदिवासी साबित करने में लगे हुए हैं जो गंभीर व आपराधिक कृत्य है। उसी चुनाव में ऋचा रूपाली जोगी ने जमानत राशि 10 हजार जमा की थी जो सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को लगता है जबकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को 5 हजार लगता है अतः ये आदिवासी समुदाय के नही है। एवं इनका जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर अपराध दर्ज किए जाने योग्य है।
इसके अलावा अनेकों विधिक एवं प्रशासनिक संव्यवहारो में कहीं भी साधु परिवारों ने अपनी जाति को गोंड साबित करने का प्रमाण जमा नहीं किया है।उपरोक्त समस्त तथ्यों एवं दस्तावेजों के प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि ऋचा साधु उर्फ जोगी गलत दस्तावेजों के आधार पर अपना जाति प्रमाण पत्र झूठे रूप से तैयार करवाया है जो गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है यह छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के गर्व, सम्मान व प्रतिष्ठा के खिलाफ है तथा संविधान की मूल भावना के विपरीत है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के अनेकों प्रकरणों एवं अजीत जोगी के प्रकरण में साफ कह दिया है कि गलत तथ्यों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र की जांच किया जाना आवश्यक है।महोदय जोगी परिवार के द्वारा सतत् रूप से अपने आपको झूठे प्रमाणपत्रों के आधार पर अपने आपको आदिवासी साबित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है जो सर्वविदित है । अजीत जोगी ने अपने जीवन काल में 7 जाति प्रमाण पत्र अलग-अलग बनाए हैं जो यह बताता है कि झूठ प्रमाण पत्र इस परिवार के द्वारा बनाया जाता रहा है।महोदय अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने अलग-अलग 3 जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत किये है जिसके कारण उन पर अपराध दर्ज हैं और अब उनकी बहू ऋचा जोगी के भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने का प्रयास कर रही है । तब ऐसे मामलों की जांच कर तत्काल इनके जाति प्रमाण पत्रों को जांच उपरांत स्थगित करते हुए इन पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करते हुए समुदाय के खिलाफ छल, प्रपंच पर विराम लगाया जा सके। इन्हीं आशाओं एवं प्रत्याशाओं के साथ आपके।