इमरान को उखाड़ फेंकने की रणनीति तैयार, मौलाना 'डीजल' बने विपक्षी गठबंधन के नेता
पाकिस्तान में सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो गई हैं। उन्होंने पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) नाम से एक गठबंधन भी बनाया है। इसकी कमान की पहली बैठक में पाकिस्तान के तेज-तर्रार मौलवी तथा नेता मौलाना फजलुर रहमान को इस गठबंधन का अध्यक्ष बनाया गया है। ये वही मौलवी हैं जिन्होंने एक साल पहले इमरान सरकार की नींव हिला दी थी। को के नाम से भी जाना जाता है।
कौन हैं मौलाना डीजल
मौलाना फजल-उर-रहमान सुन्नी कट्टरपंथी दल और पाकिस्तान की धार्मिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख हैं। उनके पिता खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मौलाना भी खुद पाकिस्तानी संसद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं। मौलाना पाकिस्तान में विदेश नीति को लेकर संसद की समिति और कशमीर समिति के भी प्रमुख रह चुके हैं।
केंद्रीय मंत्री का मिल चुका है दर्जा
मौलाना फजल-उर-रहमान को नवाज शरीफ सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री का दर्जा दिया गया था। 2018 में उन्हें सरकार विरोधी समूह की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन वह चुनाव में आरिफ अल्वी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। मौलाना तालिबान के कट्टर समर्थक माने जाते हैं। हालांकि वे खुद को उदारवादी होने का दावा करते हैं।
नवाज शरीफ ने मौलाना के नाम का दिया था प्रस्ताव
इस बैठक में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी, बीएनपी प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। पीडीएम की संचालन समिति के संयोजक एहसान इकबाल और पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ ने गठबंधन के अध्यक्ष के रूप में रहमान के नाम का प्रस्ताव दिया और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल और अन्य ने इसका समर्थन किया।
स्थायी अध्यक्ष बनाने पर गठबंधन में असंतोष
सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शरीफ ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि रहमान को स्थायी आधार पर अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए लेकिन बिलावल और अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के नेता अमीर हैदर होती ने इस विचार का विरोध किया और सुझाव दिया कि अध्यक्ष पद घटक दलों के नेताओं को बारी-बारी से दिया जाना चाहिए।
4 से 6 महीनों तक रहेंगे अध्यक्ष
बाद में नेताओं के बीच एक समझौता हुआ कि रहमान को पहले चरण में पीडीएम का नेतृत्व करना चाहिए क्योंकि उन्होंने पहले ही पिछले साल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी नीत सरकार के खिलाफ आजादी मार्च का नेतृत्व किया था। ज्यादातर प्रतिभागियों की राय थी कि निरंतरता बनाए रखने के लिए, यह आवश्यक है कि पीडीएम अध्यक्ष सहित प्रमुख पदाधिकारियों का कार्यकाल चार से छह महीने से अधिक न हो।
सभी पार्टियों से एक-एक कह बनाए जाएंगे अध्यक्ष
इकबाल ने कहा कि यह फैसला लिया गया कि 11 दलों के गठबंधन में तीन मुख्य पार्टियां बारी-बारी से पीडीएम के तीन शीर्ष पदों को साझा करेगी। पीडीएम के उपाध्यक्ष और महासचिव पद क्रमश: पीएमएल-एन और पीपीपी को दिये जायेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने संविधान के सर्वोपरि होने, लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिका और पाकिस्तानियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है। देश की 11 विपक्षी पार्टियों ने 20 सितम्बर को पीडीएम के गठन की घोषणा की थी।