राष्ट्रपति चुनाव से पहले ट्रंप का बड़ा ऐलान, बोले- विदेशी युद्धों से दूर रहेगा अमेरिका
अमेरिका में नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बीच राष्ट्रपति ने ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका कभी न खत्म होने वाले हास्यास्पद विदेशी युद्धों से दूर ही रहेगा। इसके अलावा हम विदेशों में जंग लड़ रहे अपने सैनिकों को वापस बुलाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि हम हर उस आतंकवादी को मार गिराएंगे जो अमेरिका को धमकी देते हैं।
फ्लोरिडा की रैली में ट्रंप ने किया ऐलान
चुनाव के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण राज्य फ्लोरिडा में गुरुवार को आयोजित एक रैली में ट्रंप ने आरोप लगाया कि पिछले कई दशकों में अमेरिकी राजनेताओं ने दूसरे देशों के पुनर्निर्माण, विदेशी युद्धों को लड़ने और विदेशी सीमाओं की सुरक्षा के लिए खरबों डॉलर खर्च किए। उन्होंने कहा कि लेकिन, अब हम अपने शहरों के पुनर्निर्माण के लिए अपने देश की सुरक्षा कर रहे हैं। साथ ही हम अपनी नौकरियों, अपनी कंपनियों और अपने सैनिकों को वापस अपने घर अमेरिका ला रहे हैं।
धमकी देने वाले आतंकियों को मार गिराएंगे
ट्रंप ने अपने समर्थकों को कहा कि हम उन आतंकवादियों को मार गिराएंगे जो हमारे नागरिकों के लिए खतरा हैं और हम उन्हें अपने महान देश अमेरिका में घुसने नहीं देंगे। हम कभी ना समाप्त होने वाले ‘हास्यास्पद’ विदेशी युद्धों से दूर ही रहेंगे। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि अमेरिकी सैनिक अपने घरों को लौट रहे हैं।
अमेरिका में सैनिकों की वापसी बड़ा चुनावी मुद्दा
अमेरिका में जॉर्ज बुश के राष्ट्रपति कार्यकाल के समय से ही विदेशों में जंग लड़ रहे सैनिकों की वतन वापसी बड़ा मुद्दा है। डोनाल्ड ट्रंप जब 2016 में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने सैनिकों के वापसी के मुद्दे को डेमोक्रेटिक पार्टी के खिलाफ जमकर भुनाया था। ट्रंप की जीत में इस मुद्दे की भी एक बड़ी भूमिका रही थी। इसी कारण ट्रंप प्रशासन ने कुछ महीने पहले ही अफगानिस्तान में तालिबान के साथ शांति समझौता कर अपने ज्यादातर सैनिकों को वापस बुला लिया है।
इन देशों में अब भी हजारों अमेरिकी सैनिक
अफगानिस्तान, सीरिया, इराक, लीबिया में अब भी हजारों की संख्या में अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। हालांकि, ज्यादातर देशों में ये सैनिक एक्टिव रोल में नहीं हैं। ये जवान वहां की सरकार और अमेरिका समर्थित गुटों को सैन्य सहायता और ट्रेनिंग दे रहे हैं। इसका उदाहरण सीरिया है, जहां बशर अल असद सरकार की विरोधी अमेरिका सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज को समर्थन देता है।