मोदी सरकार ने कार्पोरेट सेक्टर के कर्मियों की कानूनी सुरक्षा को छीना -कांग्रेस
रायपुर: मोदी सरकार ने किसानों के बाद निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगो के लिए भी काला कानून बना रही है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सभा मे श्रम सुधारो सम्बंधित तीन बिल विपक्षी दलों के विरोध के बीच पारित करवाया।आद्योगिक सबन्ध संहिता बिल 2020 के पारित हो जाने के बाद निजी क्षेत्र की कोई भी कम्पनी जिसकी कुल कर्मियों की क्षमता 300 कर्मचारियों से अधिक होगी वह कम्पनी विना सरकार और श्रम विभाग की अनुमति के अपने कर्मचारियों की छंटनी कर सकेगी ।इस विधेयक को पारित करवा कर मोदी सरकार ने निजी और कार्पोरेट क्षेत्र में काम करने वाले कर्मियों को अभी तक मिलने वाली संविधान प्रदत्त कानूनी सुरक्षा को एक प्रकार से वापस ले लिया ।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी सेवा के बाद निजी क्षेत्र की बड़ी कम्पनियां जिसमे कर्मचारियों की संख्या बड़े स्तर पर होती है लोगो की जीविका के स्थायी आधार साबित होते है ।आम आदमी निजी क्षेत्र की बड़ी कम्पनियों में नौकरी प्राप्त करने के बाद अपने जीवन को सुरक्षित और स्थायित्व महसूस करता था ।निजी क्षेत्र की कम्पनियां अपनी मर्जी से बड़े पैमाने पर छटनी नही कर सकती थी ।श्रम मंत्रालय का उन पर नियंत्रण रहता था ।नया कानून बनने के बाद कर्मचारियों पर नौकरी कभी भी जाने का एक मानसिक दबाव हमेशा बना रहेगा।
कांग्रेस प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार अपने बहुमत का दुरुपयोग करके लगातार देश की जनता के शोषण के रास्तों को कानूनी जामा पहना रही है ।संसद के एक ही सत्र में इतने काले कानून बनाये गये की संविधान की आत्मा भी सिहर उठी है। मोदी सरकार देश के नागरिकों ,खेती किसानी सभी को उद्योग पतियों के हाथों गुलाम करने का षड्यंत्र कर रही है ।पिछले सत्तर सालो में देश के आप आदमी की स्वतंत्रता और समृद्धि तथा शसक्तीकरण के जितने भी प्रयास किये गए थे भाजपा की मोदी सरकार उन सबको बर्बाद करने में लगी है।