तटस्थ रहेगी श्रीलंका की विदेश नीति, हिंद महासागर में कोई देश न उठाए किसी और का फायदा: गोटबया राजपक्षे
हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक चीन ने अपनी पैठ जमान की कोशिश की है। हिंद महासागर में पनडुब्बियों और दक्षिण चीन सागर में सैन्य बेसों पर चीन की सक्रियता बढ़ने से दुनियाभर की नजरें उसकी ओर हैं। अमेरिका ने अपने जंगी जहाज भी तैनात कर दिए हैं। इस बीच के राष्ट्रपति ने तटस्थता पर कायम रखने की बात कही है।
‘कोई देश न उठा सके किसी का फायदा’
गोटबया ने कहा कि लोगों की जरूरतों के लिए सतत समाधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रीलंका न्यूट्रल विदेश नीति अपना रहा है और उसका किसी खास देश के प्रति कोई लगाव नहीं होगा। उन्होंने कहा, ‘हिंद महासागर में रणनीतिक रूप से अहम जगह के तौर पर हमारी प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हिंद महासागर में शांति स्थापित रहे जहां कोई देश किसी और देश का फायदा न उठा सके।’
शक्तिशाली देश करें सपॉर्ट और सहयोग
गोटबया ने कहा कि हिंद महासागर में कई समुद्री गलियारे हैं जो आर्थिक रूप से कई देशों के लिए अहम हैं। इसलिए वैश्विक व्यापार के लिए उनका इस्तेमाल संभव होना चाहिए। शक्तिशाली देशों को सपॉर्ट और सहयोग करना चाहिए ताकि इसे तटस्थ बनाकर मूल्यवान संसाधनों का संरक्षण किया जा सके। यूनाइटेड नेशन्स चार्टर जिसमें संप्रभुता की रक्षा हो, क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित हो और घरेलू मामलों में दखल न हो।
चीन के साथ डील को बताया था गलत
इससे पहले श्रीलंका के विदेश सचिव जयनाथ कोलंबगे ने माना था कि चीन को हंबनटोटा का बंदरगाह 99 साल की लीज पर देना एक गलती थी। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि श्रीलंका ‘इंडिया फर्स्ट’ नीति से पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने कहा कि श्रीलंका यह स्वीकार नहीं कर सकता, उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए और वह स्वीकार नहीं करेगा कि उसका इस्तेमाल किसी अन्य देश-विशेष तौर पर भारत के खिलाफ कुछ करने के लिए किया जाए।