चांद पर हवा-पानी नहीं, फिर भी लग रही जंग, वैज्ञानिक खोज रहे हैं वजह
यहां इंसान चांद पर जाने की कोशिशें कर रहा है और वहां चांद पर जंग लगी जा रही है। वैज्ञानिक यह देखकर हैरान हो रहे हैं क्योंकि चांद पर न हवा है और न ही लिक्विड पानी। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के शुआई ली और उनके साथियों को ऐसा डेटा मिला है जो आइरन ऑक्साइड, हीमाटाइट, से मेल खाता है। यह एक तरह की जंग होती है जो ऑक्सिजन और पानी की मौजूदगी में पैदा होती है। ली का कहना है कि जंग लगने के लिए चांद का वायुमंडल ठीक नहीं है।
चांद पर जंग लगना क्यों है मुश्किल?
लोहे में जंग लगने के लिए एक ऑक्सिडाइजर (oxidiser) की जरूरत होती है लेकिन सूरज से आने वाली हवा की वजह से चांद की सतह पर हाइड्रोजन मौजूद रहती है जो कि ऑक्सिजाइडर से एकदम उलट रिड्यूसर (reducer) होती है। यह लोहे में इलेक्ट्रॉन जोड़ने की जगह से उससे इलेक्ट्रॉन निकाल लेती है।
फिर भी कैसे लग जाती है जंग?
रिसर्चर्स का मानना है कि चांद पर जो ऑक्सिजन है वह धरती के वायुमंडल से पहुंची है। धरती के चुंबकीय क्षेत्र (magnetic field) की वजह से ऐसा हुआ है। धरती की विस्तृत मैग्नेटिक फील्ड magnetotail की वजह से ही सूरज से निकलने वाली हाइड्रोजन से भरी हवाएं जंग को लगने से नहीं रोक पाती है।
जब चांद अपनी कक्षा में magnetotail से होकर गुजरता है तो सूरज से हाइड्रोजन उस तक नहीं पहुंच पाती है और जंग लगने का मौका मिल जाता है। रिसर्चर्स का यह भी मानना है कि चांद पर मौजूद बर्फीले पानी का जब स्पेस की धूल से संपर्क होता है तो वह लोहे से मिलकर जंग पैदा करता है। इस थिअरी के आधार पर ऐस्टरॉइड्स पर भी हीमाटाइट की मौजूदगी को समझा जा सकता है। हालांकि इसे लेकर अभी और रिसर्च की जरूरत है।