खादी उद्योग के कैलेंडर में गांधी की जगह दिखेंगे पीएम मोदी
नई दिल्ली. अभी तक चरखे के साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर दिखाई देती थी, लेकिन इस बार खादी विलेज इंडस्ट्रीज कमिशन (केवीआईसी) के सालाना कैलेंडर और टेबल डायरी में इस साल महात्मा गांधी की जगह पीएम मोदी नजर आएंगे.
खबर के अनुसार नया कैलेंडर और डायरी देखकर कर्मचारी और अधिकारी चौंक गए थे, क्योंकि इसके कवर पेज पर हर बार की तरह चरखे पर सूत कातते हुए महात्मा गांधी की जगह पीएम मोदी की तस्वीर नजर आई. बापू की उनके पारंपरिक कपड़ों में चरखे पर सूत कातते हुए तस्वीर सालों से आम लोगों के दिमाग में छपी हुई है, लेकिन पीएम मोदी उनकी जगह खादी का कुर्ता-पजामा और मोदी जैकेट पहने चरखे पर सूत काटते दिखाई देंगे. यहां तक की उनका चरखा भी बापू के मुकाबले मॉडर्न है.
इससे आहत उद्योग के कर्मचारियों ने गुरुवार को विले पार्ले स्थित दफ्तर के बाहर मुंह पर काली पट्टी बांधे इसका विरोध दर्ज करवाया. वहीं संपर्क करने पर खादी उद्योग के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि यह कोई असमान्य बात नहीं है और पहले भी हो चुका है. पूरा खादी उद्योग गांधी जी की विचारधारा पर बना है. वो खादी उद्योग की आत्मा हैं ऐसे में उन्हें नजरअंदाज करने का कोई सवाल ही नहीं है. मोदी लंबे समय से खादी पहनते आ रहे हैं और अपनी ही स्टाइल बनाते हुए इसे जनता और विदेशी मेहमानों में भी इसे प्रचलित भी किया है.
सक्सेना ने कहा कि वास्तव में वो खादी के सबसे बड़े ब्रांड एंबेसेडर हैं और उनका विजन खादी उद्योग के मेक इन इंडिया के माध्यम से गांवों को स्वपूर्ण बनाने, स्किल डेवलपमेंट के माध्यम से रोजगार पैदा करने, खादी बनाने में नई तकनीक लाने और मर्केटिंग इनोवेशन के विजन से मेल खाता है. पीएम यूथ आइकॉन हैं.
वहीं दूसरी तरफ पहचान छिपाने की शर्त पर खादी उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार द्वारा महात्मा गांधी के आयडिया और विचारों को इस तरह सिस्टमेटिक तरीके से बाहर किए जाने से हमें दुख हुआ है. पिछले साल कैलेंडर में पीएम मोदी की तस्वीर जोड़कर इस तरह की पहली कोशिश की गई थी. यहां तक की 2016 में केवीआईसी के स्टाफ यूनियन ने इस मुद्दे को मैनेजमेंट के सामने भी उठाया था और इस बात का आश्वासन दिया गया था कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा.
एक कर्मचारी ने कहा कि पिछले साल के मुकाबले इस बार तो पूरी तरह से बापू को हटा दिया. गांधी जी की तस्वीर और उनकी शिक्षा जिन्होंने गरीब के लिए खादी बनाई और इसे स्वदेशी होने का तमगा दिया उन्हें इस बार कैलेंडर और डायरी से इस बार पूरी तरह हटा दिया गया है.