HCQ से बिगड़ सकती है दिल की धड़कन: स्टडी
एक ताजा स्टडी में पता चला है कि कोरोना वायरस के लिए सुझाई जा रही मलेरिया की दवा ‘हाइड्रॉक्सिक्लोरोक्वाइन’ दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाले विद्युत संकेतों में गंभीर गड़बड़ी पैदा करती है। इस दवा का प्रचार COVID-19 के संभावित उपचार के तौर पर किया गया। अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के वैज्ञानिकों समेत अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे यह दवा दिल की धड़कन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
जानवरों पर की गई स्टडी
‘हार्ट रिदम’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में यह पाया गया कि यह दवा आश्यचर्यजनक रूप से दिल की धड़कन में अनियमितता पैदा करती है। अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने दो प्रकार के जानवरों के दिलों पर दवा के प्रभावों का आकलन किया और पाया कि यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करने वाली विद्युत तरंगों के समय को बदल देती है। हालांकि जरूरी नहीं है कि जानवरों पर किया गया अध्ययन इंसानों पर भी लागू ही हो।
दिल में होती है गड़बड़ी
वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने जो वीडियो बनाए हैं उसमें यह स्पष्ट दिखता है कि कैसे यह दवा दिल में विद्युत तरंगों में गड़बड़ी पैदा कर सकती है। जॉर्जिया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी के भौतिकी के प्रफेसर और इस अध्ययन के सह-लेखक फ्लेवियो फेंटन ने कहा कि उन्होंने इस प्रयोग के लिए ऑप्टिकल मैपिंग का सहारा लिया। इससे उन्हें यह देखने में मिली कि दिल की तरंगें किस तरह से बदलती हैं।
दूसरी बीमारियों में इसलिए कारगर
वहीं, एमरी विश्वविद्यालय अस्पताल के प्रोफेसर और सहलेखक शहरयार इरावनियन ने कहा कि COVID-19 को लेकर इस दवाई का परीक्षण क्लिनिकल ट्रायल तक ही रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी बीमारियों के इलाज में भी इस दवाई का इस्तेमाल होता है और ऐसे मरीज विरले ही दिल की धड़कन में अनियमितता का सामना करते हैं क्योंकि जितनी खुराक में COVID-19 मरीजों के लिए दवाइयों की सिफारिश की जा रही है उसकी तुलना में इन्हें काफी कम दिया जाता है।
कोरोना मरीजों को ज्यादा खतरा
वैज्ञानिकों के अनुसार COVID-19 के मरीज अलग होते हैं और वे इस दवाई से उत्पन्न होने वाली दिल की धड़कन अनियमितता को लेकर ज्यादा खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि COVID-19 मरीजों के लिए इसकी खुराक सामान्य की अपेक्षा दो-तीन गुणा ज्यादा है। COVID-19 दिल को प्रभावित करता है और पोटाशियम का स्तर कम करता है। इससे दिल की धड़कन में अनियमितता का खतरा बढ़ता है।