कोरोना महामारी के समय नेचुरोपैथी और योग का अधिक से अधिक प्रयोग कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और संक्रमण से मुक्त रहें: राज्यपाल
रायपुर : राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज शाम सूर्या फाउण्डेशन व इंटरनेशनल नैचुरोपैैथी ऑर्गेनाइजेशन (INO) के नेचुरोपैथी डॉक्टर्स, विद्यार्थी, आई.एन.ओ. के सदस्य व सूर्या फाउण्डेशन आदर्श गांव योजना के सभी कार्यकर्ताओं को फेसबुक लाइव द्वारा संबोधित किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवन ही हमारी असली पूंजी है। योग और प्राकृतिक चिकित्सा को अपनाकर अपने जीवन को निरोगी बना सकते हैं। मेरा मानना है कि इस कोरोना महामारी के समय नेचुरोपैथी और योग का अधिक से अधिक प्रयोग करें, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी और इससे हम संक्रमण से मुक्त रहेंगे। मैं इस वार्ता के माध्यम से सूर्या फाउंडेशन के कार्यकर्ताओं से आग्रह करती हूं कि प्राकृतिक चिकित्सा को घर-घर पहुंचाएं।
राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में योग और आयुर्वेद के संबंध में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि उसे अपने जीवन में अपनाया है। मैं सभी लोगों से आग्रह करती हूं कि वे भी इसे अपने जीवन में अपनाएं और नियमित रूप से अभ्यास करें। उन्होंने कहा कि मैंने संकल्प लिया है कि जब भी मुझे समय मिले मैं आदिवासी-ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक चिकित्सा और योग का संस्थान प्रारंभ करूंगी और उन लोगों को जागरूक करूंगी।
सुश्री उइके ने कहा कि संसार के सभी प्राणी प्रकृति से जुड़े हैं व प्रकृति से प्राप्त शक्ति से ही हम सब प्राणी सदैव स्वस्थ व निरोग रहते हैं। इसलिए बीमार पड़ने पर हमें प्रकृति के पंच तत्व मिट्टी, पानी, ध्ूाप, हवा व उपवास से सब रोगों का इलाज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं स्वयं भी प्रकृति से जुड़ी हुई हूं। इस लॉकडाउन के दौरान मैं नियमित रूप से सुबह-शाम वाकिंग और योग-प्राणायाम कर रही हूं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी विभिन्न बीमारियों का इलाज प्राकृतिक चिकित्सा से करते थे।
राज्यपाल ने कहा कि आधुनिक समय में मनुष्य की जीवन शैली अप्राकृतिक होती जा रही है। वह रात में देर से सोता है और सुबह देर से उठता है, जिसके कारण आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ नए रोगों की बढ़ोत्तरी हो रही है। मनुष्य अप्राकृतिक आहार-विहार अपनाकर घातक रोगों को आमंत्रित कर रहा है। अब समय आ गया है कि इसके बारे में गंभीरता से सोचा जाएगा, उत्तम स्वास्थ्य प्राप्ति के लिए हमें अपने जीवन में परिवर्तन कर अपने खान-पान, रहन-सहन व विचारों को बदलना पड़ेगा।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा में आहार को औषधि कहा जाता है। आप सभी से आग्रह है कि हमारी भारतीय चिकित्सा का ज्ञान व लाभ घर-घर तक पहुँचाने का ईमानदारी से प्रयास करें।