छाया वर्मा ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री (मानव संसाधन विकास), भारत सरकार को पत्र लिखकर संस्कृत भाषा को 9वीं एवं 10वीं में अनिवार्य बनाए जाने की मांग की
रायपुर : श्रीमती छाया वर्मा ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री (मानव संसाधन विकास), भारत सरकार को पत्र लिखकर CBSE द्वारा 7 अप्रैल 2020 को जारी आदेश में संशोधन करते हुए संस्कृत भाषा को 9वीं एवं 10वीं में अनिवार्य बनाए जाने की मांग किया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के संवर्द्धन, संरक्षण हेतु केंद्रीय विश्वविद्यालय विधेयक 2019 गत बजट सत्र में पास हुआ है जिसमें दोनों सदनों के गणमान्य सांसदों ने बढ़-चढ़ कर अपने विचार रखे। कांग्रेस की ओर से मुझे इस महत्वपूर्ण विधेयक पर राज्य सभा में बोलने का अवसर मिला। लेकिन खेद की बात है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन CBSE द्वारा 7 अप्रैल 2020 को जारी आदेश के सन्दर्भ में संस्कृत भाषा को कक्षा नवमी व दशमी से अघोषित रुप से बहिष्कृत कर दिया गया है। इस कारण प्राणभूत संस्कृत को प्राथमिक स्तर से लेकर माध्यमिक, उच्च माध्यमिक व उच्च स्तर पर अनिवार्य रुप संस्कृति भाष को नहीं पढाया जाएगा। संस्कृति भाषा के कारण ही कभी भारत विश्वगुरु था।
केन्द्र सरकार की दोहरी नीतियों का खामियाजा हर क्षेत्र में लोग सहने के लिए विवश है। इस आदेश से शिक्षा क्षेत्र में साफ परितक्षित हो रहा है। आदेश में दोहरापन निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट हैः-
इस आदेश से पूर्व पाठ्यक्रम योजना में पाँच विषय अनिवार्य और एक विषय अतिरिक्त होता था। जिसमें CBSE से सम्बन्ध्ति दिल्ली सरकार के विद्यालयों व दिल्ली समेत हिन्दी भाषी राज्यों के केन्द्रीय विद्यालयों में छात्रों के लिए ये स्थिति होती थी-1. अंग्रेजी 2. हिन्दी 3. गणित 4. विज्ञान 5. समाजिक विज्ञान, अतिरिक्त विषय 6. संस्कृत।
सरकारी विद्यालयों से भिन्न विद्यालयों में अतिरिक्त विषय संस्कृत के स्थान पर अन्य विषय लेने का भी विकल्प रहता था परंतु CBSE द्वारा 7 अप्रैल 2020 को जारी आदेश के उपरान्त -1. भाषा 2. भाषा 3. गणित 4. विज्ञान 5. समाजिक विज्ञान, अतिरिक्त विषय 6. स्किल सब्जेक्ट इन स्किल सब्जेक्ट 18 की सूची आदेश में है, उनमें से एक लेना अनिवार्य है। यहाँ स्पष्ट करना चाहता हूँ कि कोई भी हिन्दी भाषी क्षेत्र का छात्रा दो भाषा के विषयों में 1. अंग्रेजी 2. हिन्दी ही चुनेगा तथा विद्यालय प्रशासन भी ऐसा ही आग्रह करेगा। इस स्थिति में संस्कृत को विषय के रुप में लेने हेतु कोई स्थान नहीं रह जाता। CBSE द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यदि कोई छात्र तृतीय भाषा पढना चाहता है तो वह सातवें विषय के रुप में पढ सकता है परन्तु जिसकी कोई परीक्षा और मूल्यांकन नहीं होगा तथा अंकपत्र में सातवें विषय का विवरण नहीं होगा। इस कारण कोई भी छात्र तृतीय भाषा को लेने का आग्रह ही नहीं करेगा।
उन्होने आगे कहा कि उपर्युक्त बिन्दुओं से स्पष्ट है कि भारत की पहचान आन, बान, शान संस्कृत को अघोषित रुप से नवमी व दशमी कक्षा के पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया है। संस्कृत वह है जिससे सम्पूर्ण विश्व में भारत अन्य देशों से भिन्न विशिष्ट स्थान प्राप्त करता है। ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि भारत को जानना है तो संस्कृत को पढना ही होगा। इसलिए भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी संस्कृति और देश को जानने के लिए संस्कृत पढना नितान्त आवश्यक है।
अंत में श्रीमती छाया वर्मा ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री से अविलम्ब 7 अप्रैल 2020 को CBSE द्वारा जारी आदेश में संशोधन कर संस्कृत को नवमी व दशमी में अनिवार्य रुप से पढाये जाने की मांग किया है।