उच्चतम न्यायालय ने भारतीय नौसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन को मंजूरी दी
नई दिल्ली : नौसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन को उच्चतम न्यायालय से मिली मंजूरी. इसके साथ ही भारतीय नौसेना में भी अब महिलाए अपना कौशल दिखा पाएंगी. इस एतिहासिक फैसले के बाद सेना में महिलाओ को बराबरी का रास्ता साफ़ हो गया है.
महिला और पुरूष अधिकारियों को बराबरी के औचित्य को स्वीकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का रास्ता साफ कर दिया। न्यायालय ने कहा कि इस संबंध में केन्द्र को तीन महीनों के अंदर तौर-तरीके तय करने चाहिए।
न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़़ और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि सेना में स्त्री-पुरूष को बराबर नहीं मानने का कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जा सकता और सबके लिए समान अवसरों की आवश्यकता है। न्यायालय ने कहा कि राष्ट्र की सेवा करने वाली महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने से मना करना गंभीर अन्याय होगा।
न्यायालय ने केन्द्र का यह तर्क नामंजूर कर दिया कि नौसेना में अस्थायी कमीशन पर काम कर रही महिला अधिकारियों को समुद्र में नाविक की डयूटी पर तैनात नहीं किया जा सकता, क्योंकि नौसेना के रूसी जहाजों में महिलाओं के लिए वॉशरूम नहीं है।
अदालत ने कहा कि ऐसे तर्क केन्द्र की 1991 और 1998 की नीति के विपरीत हैं, जिसमें नौसेना ने महिला अधिकारियों की भर्ती पर वैधानिक प्रतिबंध हटा लिया गया था।
न्यायालय ने उन महिला अधिकारियों को पेंशन का लाभ देने की मंजूरी भी दी जो सेवानिवृत्त हो चुकी हैं और जिन्हें स्थायी कमीशन नहीं दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि इस बात के पर्याप्त दस्तावेजी प्रमाण हैं, जिनसे पता चलता है कि नौसेना में महिला अधिकारियों ने सेना के लिए खूब सराहना हासिल की है।