गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण का शुभारंभ किया

गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के दूसरे चरण का शुभारंभ किया
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नई दिल्ली : केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने आज यहां एक राष्ट्रीय प्रसार और परामर्श कार्यशाला में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) [एसबीएम (जी)] के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। इस अवसर पर केंद्रीय जल शक्ति और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रतन लाल कटारिया, पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) के सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर, प्रधान सचिव/सचिव, ग्रामीण स्वच्छता प्रभारी राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के मिशन निदेशक (एसबीएमजी), भारत सरकार के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और एसबीएम (जी) से आमंत्रित राज्य नोडल अधिकारी उपस्थित थे।

कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए श्री शेखावत ने एसबीएम (जी) के पहले चरण की बड़ी सफलता की सराहना की और कहा कि कैबिनेट द्वारा मिशन के दूसरे चरण की मंजूरी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में एसबीएम (जी) की उपलब्धियों को मान्यता है। यह 2 अक्टूबर, 2014 को आरंभ होने के बाद से पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वभौमिक कवरेज और सुरक्षित स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करने का सफल मिशन है।

एसबीएम (जी) का दूसरे चरण का फोकस शौचालय पहुंच और उपयोग के मामले में पिछले पांच वर्षों में कार्यक्रम के तहत प्राप्त लाभ को बनाए रखने पर होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी पीछे न रहे। दूसरे चरण यह सुनिश्चित करेगा कि देश के प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रभावी ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) स्थापित किया जाए।

श्री कटारिया ने इस अवसर पर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों और लाखों स्वच्छाग्रहियों की एसबीएम (जी) टीम को बधाई दी, जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के सदस्यों के बीच बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन करने और स्वच्छ भारत मिशन को सार्थक जनान्दोलन बनाने में अथक प्रयास किए।

पेयजल और स्वच्छता सचिव श्री परमेश्वरन अय्यर ने एसबीएम (जी) दूसरे चरण के जनादेश पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इसे 2020-21 से 2024-25 तक मिशन मोड में 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा। यह वित्तपोषण का आदर्श मॉडल होगा। इसमें से 52,497 करोड़ रुपये पेयजल और स्वच्छता विभाग के बजट से आवंटित किए जाएंगे, जबकि शेष राशि 15वें वित्त आयोग, एमजीएनआरईजीएस और राजस्व सृजन मॉडल के तहत विशेष रूप से ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जारी की जा रही निधियों से प्राप्त की जाएगी।

खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्लस के ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) घटक की निगरानी चार प्रमुख क्षेत्रों (प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जैव-क्षरण योग्य ठोस प्रबंधन प्रबंधन (पशु अपशिष्ट प्रबंधन सहित), ग्रेयवॉटर प्रबंधन और फेकल कीचड़ प्रबंधन) के लिए उत्पादन-परिणाम संकेतकों के आधार पर की जाएगी। एसबीएम-जी का दूसरा चरण रोजगार उत्पन्न करता रहेगा और घरेलू शौचालयों और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ एसएलडब्ल्यूएम के लिए बुनियादी ढांचे जैसे खाद गड्ढों, सोख गड्ढों, अपशिष्ट स्थिर तालाबों, सामग्री वसूली सुविधाओं आदि के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।

कार्यशाला के भाग के रूप में और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च से पहले केंद्रीय मंत्री ने यूनिसेफ और बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन (बीएमजीएफ) द्वारा ग्रामीण महिलाओं पर एसबीएम (जी) के प्रभाव पर एक अध्ययन जारी किया। अध्ययन – ग्रामीण भारत में महिलाओं की सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान पर स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का प्रभाव। फरवरी, 2020 में 5 राज्यों बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 6,993 महिलाओं का सर्वेक्षण किया गया। इस अध्ययन ने संकेत दिया कि घरेलू शौचालयों की बढ़ती पहुंच से ग्रामीण भारत में महिलाओं के सुविधा, सुरक्षा और स्वाभिमान में सुधार हुआ है।

मुख्य निष्कर्ष:

शौच करने के लिए खुले में न जाने से 93% महिलाएं हमले से सुरक्षित महसूस करती हैं।
91% महिलाएं अपने दिन के एक घंटे तक समय बचाती हैं, जो पहले शौच स्थलों पर जाने में लगाती थीं।
88% महिलाओं को एक शौचालय का मालिक होने पर गर्व है

इससे पहले, 19 फरवरी, 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एसबीएम के दूसरे चरण को मंजूरी दी थी, जो ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती से प्रभावी रूप से निपटने में ग्रामीण भारत की मदद करेगा और देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार में मदद करेगा। 2014 में एसबीएम-जी के शुभारंभ ग्रामीण क्षेत्रों में 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं; 5.9 लाख से अधिक गांवों, 699 जिलों और 35 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने स्वयं को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है।

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