प्यादे के रास्ते नटवरलाल ने बनाया जमानत का जुगाड़ सोहागपुर पुलिस अभी भी कोयला तस्करों से दूर
शहडोल। 19 जनवरी की सुबह सोहागपुर पुलिस द्वारा तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अनिल सिंह कुशवाहा के निर्देशन में बगिया तिराहे के पास अवैध कोयले से लदे ट्रेलर को पकड़ा था, पुलिस ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के माफिया के खिलाफ छेड़ी गई जंग को आगे बढ़ाते हुए छत्तीसगढ़ से मध्यप्रदेश के शहडोल और अनूपपुर जिले में किए जा रहे कोयला तस्करी के कारोबार के मुखिया को करीब 1 माह की पड़ताल के बाद बेपर्दा तो कर ही लिया , पुलिस ने सफलता तो अर्जित की लेकिन बीते एक से डेढ़ माह के दौरान सोहागपुर पुलिस और कोयला तस्कर राजेश खटवानी और उसके गुर्गे अजय मिश्रा के बीच चूहे और बिल्ली का खेल चलता रहा,
हालांकि सोहागपुर पुलिस को बीते पखवाड़े इस पूरे मामले में अजय और राजेश कोटवानी का सोहागपुर एरिया की खुली खदानों में रोड का काम देख रहे नामदेव नामक युवक को गिरफ्तार करने में सफलता भी मिल गई, लेकिन पुलिस ने जब उसे गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया और अगले ही दिन उस की जमानत हो गई तो पुलिस के हाथों के तोते उड़ गए , दरअसल पुलिस पकड़े गए ट्रेलर के चालक और परिचालक के बाद नामदेव नामक युवक को पकड़कर जेल में डालने के बाद राजेश खटवानी और अजय मिश्रा की तलाश में लगी थी, दूसरी तरफ दोनों ही कोयला तस्कर नामदेव को आगे करके उसके पीछे से अपने बच निकलने का रास्ता बनाने में लगे हुए थे , शहडोल न्यायालय में पुलिस द्वारा नामदेव को पेश करने के अगले ही दिन जब उसकी जमानत हो गई तो यह बात साफ हो गई कि दोनों ही कोयला तस्करों के द्वारा जानबूझकर नामदेव को बलि का बकरा बना कर पुलिस के समक्ष पेश किया गया था, और उसी की जमानत को आधार बनाकर वह दोनों भी माननीय न्यायालय के समक्ष पेश होकर वहां से निकलने की जुगत में है, हालांकि पुलिस ने जब नामदेव के बयान दर्ज किए तो अजय मिश्रा का एक और साथी किशोर सोनी जो पत्रकारिता का चोला ओढ़ कर उसके साथ शहडोल अनूपपुर जिले में कोयले के अवैध कारोबार में लगा था, उसका नाम भी सामने आ गया ।
सोहागपुर पुलिस ने इस मामले में अभी तक किशोर सोनी का नाम कोयला तस्करों की सूची में शामिल किया है या नहीं यह तो वही जाने, लेकिन नामदेव के बयान के बाद यह बात साफ हो गई कि अजय मिश्रा और किशोर सोनी दोनों मिलकर पत्रकारिता के पेशे को न सिर्फ बदनाम कर रहे थे, बल्कि उसकी आड़ में कोयला तस्करी के कारोबार से भी लंबे अरसे से जुड़े हुए थे, कोयला कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो दोनों ने शहडोल व अनूपपुर जिले के मीडिया मैनेजमेंट के लिए भी कोयला कारोबारी राजेश खटवानी से मासिक राशि तय की हुई थी क्योंकि इन दोनों के कोयला तस्करी की खबर किसी को भी नहीं थी इस कारण साझेदारी में मिलने वाले हिस्से के अलावा मीडिया मैनेजमेंट और कई पुलिस कर्मियों के नाम पर दोनों पत्रकार अपनी जेबें गर्म करते रहे ।
इस मामले में एक नया मोड़ दो दिन पहले भी आया जब अनूपपुर जिले के पत्रकारों ने एकजुट होकर गृह मंत्री के पास पुलिस अधीक्षक अनूपपुर के माध्यम से पत्र भेज कर पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग कर डाली।
वही पत्रकारों ने यह भी मांग की कि इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से करवानी चाहिए, हालांकि पत्रकारों ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया कि यदि अजय मिश्रा और किशोर सोनी के नाम इस जांच में उजागर होते हैं तो उन्हें भी सजा मिलनी चाहिए, यह बात पत्र में उल्लेखित तो नहीं थी, लेकिन दिए गए संदर्भ में अंतर्निहित जरूर थी, पत्रकारों ने शहडोल के पुलिस अधीक्षक अनिल सिंह कुशवाहा और सोहागपुर थाना प्रभारी योगेंद्र सिंह को भी कटघरे में खड़ा करते हुए इन सबके कॉल डिटेल की मांग कर डाली।
आगे क्या होता है पुलिस इस मामले में किन-किन लोगों को आरोपी बनाती है और काल डिटेल के आधार पर जांच होती है या नहीं यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा, लेकिन सोहागपुर पुलिस द्वारा अभी तक अजय मिश्रा को गिरफ्तार न करना और कोटवानी का लगातार फरार रहना, इस बात की ओर इंगित करता है कि शुरुआत में सोहागपुर पुलिस ने इस मामले में मेहनत तो की, लेकिन अब वह खुद ही सुस्त पड़ती नजर आ रही है।