बिहार में 7 वां वेतनमान: सरकार पर आएगा 6.3 हजार करोड़ का बोझ
पटना. केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को 7वां वेतन आयोग की सिफारिशें काफी हद तक लागू कर दी हैं. इसके तहत सभी स्तर के कर्मचारियों के वेतन में समानुपातिक रूप से बढ़ोतरी की गयी है. केंद्र की इस घोषणा के बाद बिहार सरकार में इसे लेकर कवायद शुरू हो गयी है. बिहार में वित्त विभाग ने सरकारी कर्मचारियों को 7वां वेतनमान देने के लिए जल्द ही ‘फिटमैन कमेटी’ का गठन किया था.
यह कमेटी केंद्र की तरफ की तरफ से जारी अधिसूचना और 7वें वेतन आयोग की मंजूर की गयी तमाम अनुशंसाओं का विश्लेषण करने के बाद एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था, जिसने वेतन के प्रारूप को अंतिम रूप दिया. इस प्रक्रिया के पूरे होने बाद ही बिहार सरकार ने सभी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए लागू किया है. वित्त विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस प्रक्रिया को पूरी करने में सरकार को कम से कम छह से सात महीने का समय लगा है.
23.6 प्रतिशत की होगी बढ़ोतरी- वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार, 7वें वेतन आयोग की अनुशंसा के बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों के वेतन में भी 23.6 फीसदी तक की बढ़ोतरी होगी. मूल वेतनमान में 14.27 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, जबकि मूल वेतन और अन्य तमाम भत्तों को मिलाकर यह बढ़ोतरी करीब साढ़े 23 प्रतिशत के आसपास होगी. उच्च पदों पर तैनात अधिकारियों को इस बढ़ोतरी से बहुत का फायदा नहीं मिलेगा, लेकिन मध्यम और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को इसका ठीक-ठाक लाभ मिलने का अनुमान है. इनके वेतन में औसतन छह से आठ हजार रुपये प्रति महीने की बढ़ोतरी होगी. इस बढ़ोतरी का लाभ उन नियोजित शिक्षकों को भी मिलेगा, जिन्हें सरकार ने वेतनमान दे दिया है.
वेतन और पेंशन वालों की संख्या- राज्य में नियमित वेतनमान वाले सभी श्रेणी के सरकारी कर्मचारियों की संख्या करीब 3.50 लाख है. वहीं, राज्य में पेंशन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या करीब 4.25 लाख है. राज्य सरकार में चतुर्थ वर्गीय से शीर्ष तक के कर्मचारियों और अधिकारियों के करीब 20 तरह के वेतनमान है, जिसमें अलग-अलग तरके से बढ़ोतरी होगी.
वेतन में इतना बढ़ेगा खर्च- जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2014-15 में वेतन मद में 13 हजार 913 करोड़ खर्च हुए थे. जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में वेतन में करीब 15 हजार करोड़ खर्च हुआ था. 7वां वेतनमान लागू होने के बाद राज्य सरकार पर करीब 3 हजार 500 करोड़ का बोझ बढ़ेगा. इस तरह वेतन मद में खर्च बढ़कर हो जायेगा 18 हजार 500 करोड़.
पेंशन में इतना बढ़ेगा खर्च-वित्तीय वर्ष 2014-15 में पेंशन मद में 11 हजार 344 करोड़ खर्च हुए थे, जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में 12 हजार 400 करोड़ खर्च हुए थे. 7वां वेतनमान लागू होने के बाद करीब 2 हजार 800 करोड़ का वित्तीय बोझ बढ़ेगा वहीं इस तरह पेंशन मद में खर्च बढ़कर हो जायेगा 15 हजार 200 करोड़. नियमित सरकारी कर्मचारियों के वेतन पर 3,500 और पेंशन पर 2,800 का खर्च बढ़ेगा. इससे खजाने पर करीब 6 हजार 300 करोड़ का वित्तीय बोझ बढ़ेगा. इसका सीधा असर राज्य के गैर-योजना आकार पर पड़ेगा. मौजूदा वित्तीय वर्ष 2016-17 में राज्य का गैर-योजना आकार 72 हजार करोड़ का है, जो बढ़कर करीब 79 हजार करोड़ हो जायेगा. इससे योजना आकार में कटौती की संभावना काफी बढ़ गयी है.