स्थानीय भाषा और बोली में पढ़ाई को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ ने व्यक्त किया आभार

स्थानीय भाषा और बोली में पढ़ाई को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संघ ने व्यक्त किया आभार
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रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की पहल पर आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को स्थानीय भाषा, बोली में शिक्षा दिए जाने और बच्चों को अपनी मातृ भाषा में प्रभावी तरीके से सीखाकर समुचित विकास करने का छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ और छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका संघ ने आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संघ ने आंगनबाड़ी केन्द्रों को प्री-प्रायमरी (नर्सरी) स्कूल में परिवर्तित करने के लिए मुख्यमंत्री को गाड़ा-गाड़ा बधाई दी है। मुख्यमंत्री से निवेदन करते हुए अपेक्षा व्यक्त की है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को प्राथमिक शालाओं में छत्तीसगढ़ी में शिक्षा देने का अवसर दिया जाए, जिससे हमारे अनुभव का लाभ स्कूली बच्चों को मिल सके। उन्होंने सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए कहा है कि इस निर्णय से बच्चों और समाज के विकास के साथ ही छत्तीसगढ़ियों का आत्म सम्मान भी बढ़ेगा।
छत्तीसगढ़ जुझारू आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका कल्याण संघ की प्रांताध्यक्ष श्रीमती पदमावती साहू और कार्यकारिणी सदस्यों तथा छत्तीसगढ़ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका संघ की प्रांताध्यक्ष सुश्री सरिता पाठक और कार्यकारिणी सदस्यों ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा लिए गए निर्णय को दूरदर्शी बताया है। उन्होंने कहा है कि छोटा बच्चा घर में अपनी स्थानीय भाषा और बोली का प्रयोग करता है, लेकिन आंगनबाड़ी में हिन्दी बोलने में उसे कठिनाई होगी। भाषा विशेषज्ञों का मानना है कि अपनी बोली और भाषा में बच्चे आसानी से समझतें हैं उनकी बुद्धि का विकास भी तेजी से होता है। अपनी भाषा और बोली में बात करने में आत्म विश्वास बढ़ने के साथ सीखने की इच्छा भी बढ़ती है। जब बच्चे अपनी भाषा और बोली में सीखेंगे तो अपनी संस्कृति को भी अच्छे से समझेंगे।
बच्चे जब अपनी बोली और भाषा में पढ़ेंगे, बात करेंगे, समझेंगे तो उसके साथ-साथ बोली और भाषा के विकास के साथ-साथ समाज को भी पहचान मिलेगी। हमारा प्रयास रहेगा कि स्थानीय बोली-भाषा के साथ अंग्रेजी भाषा में भी बच्चों को शिक्षित किया जाए, जिससे आगे की पढ़ाई-लिखाई में कोई कठिनाई ना हो।

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