रेप, लूट, हत्या… आपके राज्य की क्राइम स्टोरी
भारत पहले की तुलना में अब ज्यादा सेफ हुआ है। देशभर में हिंसक अपराध में कमी देखी गई है। 2017 में कई राज्यों में अपराध दर में गिरावट दर्ज की गई। जी हां, राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए आंकड़े अच्छे संकेत दे रहे हैं। एक लाख की आबादी पर हिंसक अपराध ही नहीं और हत्याएं भी घटी हैं। हालांकि कुछ राज्यों के हालात चिंताजनक बने हुए हैं। 2017 में भारत में मर्डर रेट पिछले 54 वर्षों में सबसे कम रहा। 2016 में देश में हिंसक अपराध के 4.29 लाख केस दर्ज किए गए थे, जो 2017 में 4.27 लाख रहे। वहीं, 2016 में क्राइम रेट 33.7 था जो 2017 में घटकर 33.1 रह गया।
भारत में हत्याओं की बात करें तो 1992 में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा था और उसके बाद से यह घट रहा है। 1992 में यूपी में मर्डर और गैर इरादतन हत्याओं के 12,287 मामले सामने आए थे। इसके बाद बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र थे।
समग्र रूप से 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराध 2016 के 33.89 लाख की तुलना में 2017 में 35.98 लाख बढ़े हैं। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर एक लाख महिलाओं पर पहले की 55.2 से बढ़कर 57.9 घटनाएं हुईं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यौन हमले और यौन उत्पीड़न जैसे अपराध बढ़े हैं। हालांकि ज्यादातर बड़े राज्यों में रेप, दहेज हत्याएं और पति या परिजनों द्वारा क्रूरता जैसे अपराध में कमी आई है।
बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम में पहले भी हिंसक अपराध ज्यादा थे और यहां बढ़ोतरी हुई है। बड़े राज्यों में केवल बिहार, आंध्र प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में मर्डर रेट में इजाफा हुआ है। ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में दंगे के मामलों में 10% तक की वृद्धि हुई है।
किडनैपिंग और अपहरण की बात करें तो दिल्ली में हालात सुधरे हैं जबकि असम में हालात काफी बिगड़े हैं।
लूट और डकैती के मामले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में तेजी से घटे हैं। वहीं तेलंगाना में बढ़े हैं।
यौन अपराध के मामलों पर गौर करें तो ओडिशा में यह आंकड़ा बढ़ा है जबकि दिल्ली में घटा है। बिहार का प्रदर्शन काफी बेहतर हुआ है।
घर में पति या सगे-संबंधियों के हमले या क्रूरता के मामले देखें तो दिल्ली में इसमें बड़ी गिरावट देखी गई है। वहीं असम और तेलंगाना में इजाफा हुआ है।
यौन उत्पीड़न में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के बाद दिल्ली का नंबर आता है।
यूपी, बिहार का हाल
देश में अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है जहां एक साल में तीन लाख से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गईं। 2017 के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, केरल और दिल्ली का नंबर आता है। बिहार अपराध के लिहाज से छठे स्थान पर आता है। देशभर में 2017 में कुल 30,62,579 मामले दर्ज किए गए थे। 2015 में इनकी संख्या 29,49,400 और 2016 में 29,75,711 थी। 2017 के आंकड़े एक साल से भी अधिक समय की देरी के बाद मंगलवार रात जारी किए गए।
आंकड़ों के अनुसार देश की सबसे अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में उस साल 3,10,084 मामले दर्ज किए गए थे और देशभर में दर्ज कुल मामलों का लगभग 10 प्रतिशत है जो सर्वाधिक है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में लगातार तीसरे साल अपराध का ग्राफ ऊपर की ओर जाता दिखाई दे रहा है। राज्य में 2015 में 2,41,920 और 2016 में 2,82,171 मामले दर्ज किए गए थे। आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन एनसीआरबी का काम अपराध के आंकड़ों को एकत्रित करना और उनका विश्लेषण करना होता है। हिरासत में के मामलों को देखें तो उत्तर प्रदेश और राजस्थान की स्थिति सबसे खराब है।
आइए अब अपराध के अलग-अलग मामलों पर यह क्राइम वॉच देखते हैं।
Source: National