बिना विधायक आंध्र में विपक्षी पार्टी बनेगी BJP?
दक्षिण भारत में विस्तार की कोशिशों में जुटी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को फिलहाल में ही सबसे उर्वर सियासी जमीन दिख रही है। यहां लोकसभा और विधानसभा चुनाव में हार से हताश तेलुगू देशम पार्टी () के नेताओं को तोड़कर उसे और कमजोर करने में जुटी हुई है। इस मिशन में पार्टी के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव, राज्य के सह प्रभारी, राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर और एक अन्य राष्ट्रीय सचिव सत्या कुमार लगे हुए हैं। इनकी कोशिशों से अब तक आंध्र प्रदेश में अब तक 60 छोटे-बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
बता दें कि टीडीपी के छह में से चार राज्यसभा सांसदों को बीते जून में अपने पाले में लाने में सफल रही बीजेपी ने सोमवार को सरकार में पूर्व मंत्री और तीन बार के विधायक आदिनारायण रेड्डी को भी तोड़ लिया। रेड्डी के बीजेपी में शामिल होने के बाद अन्य नेताओं के भी दलबदल की अटकलें लगने लगीं हैं। टीडीपी के एक दर्जन विधायक पहले से बीजेपी के संपर्क में हैं लेकिन इन्हें बीजेपी एक रणनीति के तहत अभी शामिल नहीं करना चाहती।
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टीडीपी विधायकों को एकमुश्त बीजेपी में चाहती है पार्टी
बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सत्या कुमार ने इन विधायकों के पार्टी के संपर्क में होने की पुष्टि करते हुए कहा, ‘राज्य में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी बिखर चुकी है। आने वाला वक्त अब बीजेपी का है। यही वजह है कि राज्य में टीडीपी का हर नेता बीजेपी में आना चाहता है। मगर बीजेपी एक-एक करके किसी को नहीं शामिल करेगी।’
दरअसल, किसी पार्टी के दो-तिहाई सांसद या विधायक एक साथ दूसरे दल में जाते हैं तो उन पर दलबदल विरोधी कानून नहीं लागू होता। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने दलबदल को तैयार टीडीपी के एक दर्जन विधायकों से साफ कह दिया है कि वह फुटकर में उन्हें शामिल नहीं करेगी। अगर टीडीपी के एक साथ 16 विधायक आने को तैयार हों तो पार्टी जरूर विचार कर सकती है। सूत्रों का कहना है कि 16 विधायकों के एक साथ आने से उनकी सदस्यता पर किसी तरह का खतरा नहीं होगा और वे बीजेपी के विधायक बन जाएंगे।
राज्यसभा सांसदों को शामिल करने के लिए भी अपनाई थी यही रणनीति
जून में भी बीजेपी ने इसी रणनीति के तहत टीडीपी के छह में से चार राज्यसभा सांसदों के आने पर ही उन्हें पार्टी में शामिल किया था। दो-तिहाई संख्या होने के कारण उन पर दलबदल विरोधी कानून नहीं लागू हुआ था। सूत्र बताते हैं कि यदि टीडीपी के 16 विधायकों को एक साथ तोड़ने में बीजेपी सफल हुई तो वह विधानसभा चुनाव में एक भी सीट न जीत पाने के बावजूद सीधे मुख्य विपक्षी दल बन जाएगी।
इस साल लोकसभा के साथ हुए विधानसभा चुनाव में जगन मोहन रेड्डी की पार्टी ने 175 सदस्यीय विधानसभा में 151 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जबकि 2014 में 103 सीटें जीतने वाली चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी को सिर्फ 23 सीटों से ही संतोष कर दूसरे स्थान पर रहना पड़ा था। पिछली बार चार सीटें जीतने वाली बीजेपी का इस बार खाता भी नहीं खुला था।
Source: National