रविदास मंदिरः जमीन का ऑफर लोगों ने ठुकराया
मंदिर हटाए जाने के मामले में केंद्र सरकार की पेशकश आंदोलनकारियों को मंजूर नहीं है। उनका आरोप है कि सरकार का यह कदम धोखा है। मिशन की अगुआई कर रहे संत सुखदेव महाराज ने कहा कि उन लोगों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकरा दिया है। रविदास समुदाय सरकार की इस पेशकश के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि उनका शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा।
आंदोलन के प्रवक्ता अशोक भारती ने बताया कि तुगलकाबाद में रविदास धाम की 12 बीघा 7 बिस्वा जमीन को सरकार ने छीना है। उसकी एवज में सरकार 200 वर्गमीटर जमीन दे रही है। वह संत शिरोमणि गुरु रविदास का पक्का मंदिर तोड़कर पोर्टा केबिन या लकड़ी का मंदिर बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पेश सरकार का प्रस्ताव उन लोगों को मान्य नहीं है।
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अशोक भारती ने बताया कि सरकार ने अपने प्रस्ताव में इस जगह पर किसी भी तरह के पक्के निर्माण पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है। सरकार ने पारंपरिक प्रबंधन की जगह खुद एक नई समिति बनाने का प्रस्ताव भी रखा है। यह भी समाज को स्वीकार्य नहीं है। यह संत रविदास का अपमान है और हमारी आस्था पर चोट है। दलित समाज एकजुट होकर पूरी ताकत के साथ इसका विरोध करेगा। समाज 21 अक्टूबर को जंतर मंतर पर एक दिन का सांकेतिक धरना देगा।
केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर संत कुलवंत राम के वकील के भी हस्ताक्षर हैं। यानी संत कुलवंत सरकार के प्रारूप के पक्ष में हैं। इस बात पर भी हंगामा मचा हुआ है। सरकार के खिलाफ पिटिशन दायर करने वालों में संत कुलवंत राम भी शामिल हैं। सरकार के खिलाफ गुरु रविदास जयंती समारोह समिति के अलावा अशोक तंवर और प्रदीप जैन ने भी पिटिशन दी है। उन्होंने सरकारी पक्ष से सहमति नहीं जताई है। कुल सात पार्टियों में से पांच के वकीलों के प्रस्ताव के समर्थन में हस्ताक्षर किए हैं। पंजाब में रह रहे संत कुलवंत राम से फोन पर संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि वह सरकार के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं। उन्होंने कहीं साइन नहीं किया है। उनके साथ धोखा हुआ है।
AAP ने साधा बीजेपी पर निशाना
संत रविदास मंदिर को लेकर आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर से बीजेपी पर निशाना साधा है। मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि दिल्ली में सैकड़ों साल पुराने संत रविदास के मंदिर को केंद्र सरकार द्वारा गिरवा दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के वकीलों ने हलफनामा दायर कर कहा है कि केंद्र सरकार उसी जगह पर दोबारा से मंदिर के निर्माण के लिए 200 वर्गमीटर जमीन देने को तैयार है। हलफनामे का हवाला देते हुए गौतम ने कहा कि इससे एक बात साबित हो गई है कि बीजेपी के नेता इतने समय से दिल्ली की जनता के सामने एक झूठ फैला रहे थे कि संत रविदास मंदिर मामले का समाधान दिल्ली सरकार की ओर से होना है।
उन्होंने कहा कि हलफनामे से यह साबित हो गया है कि मंदिर की जमीन डीडीए के अधीन थी और उस पर निर्माण की अनुमति केंद्र द्वारा ही मिलनी थी। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी की सरकार चाहती तो संत रविदास के मंदिर को टूटने से रोका जा सकता था, क्योंकि बीजेपी और उसके सभी नेता पहले से ही जानते थे कि जमीन डीडीए के अधीन आती है।
Source: National