मुस्लिम पक्ष ने SC को सौंपा मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
अयोध्या मामले के मुस्लिम पक्षकारों ने में संयुक्त रुप से पर अपनी वैकल्पिक मांग सीलबंद लिफाफे में पेश की। अयोध्या में विवादित जमीन विवाद मामले की सुनवाई अब पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट अगले महीने फैसला दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ प्रस्ताव सभी पक्षों को 3 दिन में देने का निर्देश दिया था। अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपनी वैकल्पिक मांग सुप्रीम कोर्ट में पेश की थी।
क्या होता है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब होता है, कोर्ट से यह कहना कि अगर हमारे पहले वाले दावे को नहीं माना जा सकता तो नए दावे पर विचार किया जाए। सीजेआई की अध्यक्षता वाली संवैधानिक बेंच ने संबंधित पक्षों को ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर लिखित नोट रखने के लिए 3 दिन का अतिरिक्त समय दिया था।
पढ़ें:17 नवंबर से पहले आ सकता है फैसला
सीजेआई रंजन गोगोई अगले महीने 17 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि उससे पहले अयोध्या मामले में फैसला आ सकता है। इसी सप्ताह अयोध्या मामले पर लगातार 40 दिन तक चली सुनवाई पूरी हो गई।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच बराबर-बराबर बांटने का आदेश दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं दायर की गईं थीं। शीर्ष अदालत ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।
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सुनवाई पूरी होने के बाद सभी पक्षों ने न्याय होने की बात कही और अपने पक्ष में फैसला आने की उम्मीद जताई। बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा कि कानूनी पॉइंट हमारे पक्ष में है। हमारे सबूतों की शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस लिखे जाने के समय से शुरू होता है। उन्होंने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में कई ऐसे अकाट्य सबूत दिए हैं जिससे उन्हें पूरा भरोसा है कि अयोध्या का फैसला मुस्लिमों के पक्ष में आएगा।
Source: National