काशी के जिस नक्कटैया मेले में आजाद बने थे हिस्सा, वो आर्थिक संकट से बंद होने की कगार पर
धर्म नगरी काशी में अंग्रेजों की मुखालफत के लिए शुरू हुई ऐतिहासिक चेतगंज की नक्कटैया आर्थिक संकट से गुजर रही है। जन सहयोग से होने वाली लीला के लिए चंदा देने वालों ने हाथ खींच लिए हैं। ऐसे में लाखों रुपये खर्च की जिम्मेदारी सीधे रामलीला समिति पर आ गई है। रामलीला समिति ने 1888 से चली आ रही परंपरा के संरक्षण के लिए शासन से गुहार लगाई, लेकिन फिलहाल मदद नहीं मिली है।
चेतगंज की विश्व प्रसिद्ध नक्कटैया की लीला करवा चौथ के दिन यानी 17 अक्टूबर की रात आयोजित होगी। हर साल की तरह पूरी रात लाग विमान विमान निकालने की तैयारी के बीच रामलीला समिति के पदाधिकारी आर्थिक संकट को लेकर परेशान हैं। नक्कटैया के लिए सहयोग देने वालों में ज्यादातर कारोबारी रहे हैं। इस साल त्यौहारों के सीजन के बावजूद आर्थिक मंदी के कारण कारोबारियों ने सहयोग देने में असमर्थता जता दी है। वहीं संपत्ति पर कब्जे के चलते रामलीला समिति को होने वाली आय भी बंद हो गई है।
चेतगंज रामलीला समिति के अध्यक्ष अजय गुप्ता का कहना है कि पदाधिकारी और सदस्यों ने द्वारा मिलने वाली धनराशि से ही नक्कटैया जुलूस की व्यवस्था की जा रही है। बताया कि समिति के प्रतिनिधिमंडल ने पिछले दिनों प्रदेश के धर्मार्थ कार्य मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी को पत्र सौंप शासन से आर्थिक सहयोग का अनुरोध किया था। अब तक शासन की ओर से इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।
अंग्रेजों के दमन पर आधारित झांकियां होती रहीं शामिल
आजादी के आंदोलन के दौर में चेतगंज की नक्कटैया में अंग्रेजों के दमन पर आधारित लाग विमान शामिल होते रहे। दौर बदलने के साथ समस्याओं को जगह मिली। इस बार प्लास्टिक से आजादी का नारा नक्कटैया का हिस्सा बनेगा। इसके अलावा कश्मीर विधानसभा भवन पर तिरंगा फहरता दिखाई देगा तो एयरफोर्स में हाल में गठित महिला फाइटर विंग की झांकी नारी सशक्तिकरण की बानगी पेश करेगी। इस दौरान प्रयागराज, मीरजापुर, जौनपुर, आजमगढ़, प्रतापगढ़ आदि स्थानों के सौ से अधिक लाग विमान इस साल नक्कटैया जुलूस में दिखेंगे।
चंद्रशेखर आजाद भी शामिल होते रहे
वाराणसी के पारंपरिक लक्खा मेलों में शुमार चेतगंज की नक्कटैया मेले को क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने क्रांतिकारियों के वार्षिक सम्मेलन का रूप दे दिया था। चंद्रशेखर आजाद और उनके क्रांतिकारी साथी मेले में दर्शक बनकर शामिल होते थे। इस दौरान चेतगंज स्थित सरस्वती वाचनालय क्रांतिकारियों के मिलने की जगह हुआ करती थी।
Source: Uttarpradesh