अयोध्या पर आज हिंदू पक्ष ने रखीं क्या दलीलें
में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। 40 दिन तक सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। आज की सुनवाई के दौरान काफी सख्त नजर आए। उन्होंने एक-एक मिनट के लेकर सख्ती बरती। सुनवाई में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों ने अपने-अपने पक्ष में कई दलीलें दीं। इस बीच, कोर्ट में काफी ड्रामा भी हुआ और के वकील राजीव धवन ने एक किताब में राम मंदिर पर छपे नक्शे को फाड़ दिया।
आइए जानते हैं सुप्रीम कोर्ट में किस पक्ष ने क्या दलील दी।
सुप्रीम कोर्ट में ड्रामा, धवन ने फाड़ा नक्शा
सुनवाई के बीच ड्राम भी देखने को मिला। राम मंदिर पर हिंदू महासभा के वकील ने ऑक्सफोर्ड की किताब का हवाला दिया मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने किताब का नक्शा फाड़ दिया। मुस्लिम पक्ष के वकील के रवैये पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई काफी नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह उठकर चले जाएंगे।
बहुत हो चुका, आज 5 बजे तक खत्म करें सुनवाई: गोगोई
-सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आज सुनवाई पूरी होगी। तय पक्षकारों के अलावा किसी को नहीं मिलेगी बोलने की इजाजत। 5 सदस्यीय संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि अब बहुत हो चुका सुनवाई आज ही यानी 16 अक्टूबर को खत्म होगी। अयोध्या केस की सुनवाई का आज 40वां दिन है। सुनवाई शुरू के बाद एक वकील ने एक्स्ट्रा समय मांगा। जिसपर CJI गोगोई ने स्पष्ट कर दिया कि आज शाम 5 बजे अयोध्या मामले की सुनवाई खत्म हो जाएगी। एक वकील ने मामले में हस्तक्षेप की अपील की तो CJI ने अपील खारिज कर दी।
रामलला के वकील की दलील
सीएस वैद्यनाथन: मुस्लिम पक्षकार का कहना है कि राम चबूतरा भगवान राम का जन्मस्थान है। दरअसल एक छोटी सी जगह को विभाजित करने की कोशिश है। भक्त हमेशा से अंदर के गुंबद के नीचे पूजा करते रहे थे। हिंदू हमेशा भीतरी आंगन में पूजा करते रहे। बाद में वहां पूजा नहीं कर पाए क्योंकि तमाम प्रतिबंध लगा दिया गया और एक रेलिंग बना दी गई और कानून व्यवस्था का हवाला दिया गया।
वैद्यनाथन: इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि वहां जमीन खाली थी और मस्जिद बनाया गया और फिर उसे वक्फ को दिया गया। इस मामले में मालिकाना हक को अलग एवं स्वतंत्र तौर पर साबित करना होगा। पजेशन अलग चीज है जो उससे जुड़ी है।
वैद्यनाथन: इस बात के कुछ प्रमाण हैं कि मुस्लिम 1857 से लेकर 1934 तक वहां शुक्रवार की नमाज विवादित स्थल पर पढ़ते थे। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने नमाज पढ़ा इसके लिए कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन हिंदुओं ने लगातार वहां पूजा की है इसके प्रमाण हैं।
वैद्यनाथन: मुस्लिमों का कहना है कि हम उन्हें वहां से बेदखल कर रहे हैं। लेकिन इस बात के कोई प्रमाण नहीं है कि मुस्लिम पक्षकार मालिकाना हक रखते हैं।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़: आप अपनी दलीलें दायरे में रखिए।
वैद्यनाथन: अगर मालिकाना हक के मामले में बेहतर टाइटल न हो तो माना जाता है कि पजेशन टाइटल का अधिकार बनाता है।
मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन: समय का ख्याल किया जाए।
चीफ जस्टिस: अभी 10 मिनट है।
राजीव धवन: पांच मिनट।
चीफ जस्टिस: हम घंटी बजा देंगे। (कुछ देर बाद) आपका समय हो गया।
चीफ जस्टिस: के वकील रंजीत कुमार आप दलील शुरू करें।
मध्यस्थता पैनल ने SC में रिपोर्ट दाखिल की
इस बीच, अयोध्या केस की सुनवाई के बीच शीर्ष अदालत द्वारा बनाए गए मध्यस्थता पैनल ने अपनी रिपोर्ट दाखिल की है। रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एफ एम कलीफुल्ला, श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व वाले मध्यस्थता पैनल ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दी है।
SC में अभीतक की सुनवाई में मध्यस्थता का जिक्र नहीं
सुन्नी वक्फ बोर्ड की मध्यस्थता या किसी अन्य हलफनामे का शीर्ष अदालत में कोई जिक्र नहीं। केस वापसी को लेकर किसी पक्ष ने कोई अपील नहीं की। इससे पहले ऐसी अटकलें थी कि सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन पर दावा छोड़ने को लेकर शीर्ष अदालत में अपील दे सकता है। लेकिन सुनवाई शुरू के समय ऐसी कोई अपील कोर्ट के सामने नहीं आई थी।
मुस्लिम पक्ष भी बोला-कोर्ट का फैसला स्वीकार
मुस्लिम पक्ष ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वीकार करेगा। मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि वह इस मामले में फैसला चाहते हैं। जो भी फैसला आएगा उसे वह स्वीकार करेंगे।
सभी पक्षकारों के वकीलों ने दाखिल किए दस्तावेज
सुनवाई शुरू होते ही हिंदू-मुस्लिम पक्षकारों ने शीर्ष अदालत में अपने-अपने दस्तावेज दाखिल किए। कोर्ट ने दस्तावेजों को देखने के बाद बहस शुरू करने की अनुमती दे दी।
हिंदू महासभा ने कहा-फैसला चाहते हैं
हिंदू महासभा के वकील ने साफ किया कि वह मध्यस्थता नहीं चाहते हैं और शीर्ष अदालत से इसपर फैसले की उम्मीद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा इस मामले में शीर्ष अदालत से फैसला चाहता है।
Source: National