नेपाल से जुड़े टेरर फंडिंग रैकेट का खुलासा
पाकिस्तानी साजिश का संदेह
गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इनका अपनाया हथकंडा वैसा ही है जैसा 5 अगस्त को कश्मीर से 370 हटाए जाने से पहले होता रहा था। उनका कहना है कि उन्हें इसमें नेपाल में बसे कुछ पाकिस्तानी नागरिकों का हाथ होने का भी संदेह है। उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओ पी सिंह ने कहा, ‘गिरफ्तार आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनके नेपाल के बैंक खातों में दूसरे देशों से पैसे भेजे जाते थे। ये लोग खाताधारकों को इसके लिए कमीशन देते थे।’
कमीशन पर चल रहा था धंधा
सूत्रों ने बताया कि इस गिरोह की पड़ताल तब शुरू हुई जब नेपाल के अधिकारियों ने इस गोरखधंधे का खुलासा किया। नेपाल के राष्ट्रीय बैंक में हुई हैकिंग की जांच में वहां के पुलिस अधिकारियों को कई ऐसे बैंक खातों का पता चला जिनमें दूसरे देशों से पैसे जमा होते थे। नेपाल के जिन बैंक खातों से लेनदेन होता था, उनके धारकों को पैसा निकालकर हैंडलर को देने पर 5-6 पर्सेंट का कमीशन मिलता था। उस रकम को हैंडलर्स भारत भेजा करते थे। यह बात मामले के जानकार सूत्र ने पहचान जाहिर नहीं किए जाने की शर्त पर बताई है।
भारत विरोधी गतिविधियों की फंडिंग
सूत्र ने बताया कि आरोपियों को खाते से निकाली गई रकम इंडियन करंसी में बदलकर उनकी डिलीवरी देने पर छह प्रतिशत कमीशन दिया जाता था। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे कमीशन लेने के बाद रकम फहीम और सदाकत के हवाले कर दिया करते थे। पुलिस के मुताबिक, फहीम और सदाकत यह रकम दिल्ली भेजा करते थे जिसका इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों में होता था। जांच के दौरान पता चला कि 49 लाख रुपये की नेपाली करंसी हाल ही में भारत लाई गई थी।
एटीएस के सामने कई अहम सवाल
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बताया कि उसने एंटी टेरर स्क्वॉड की तरफ से मामले की विस्तृत जांच का आदेश दिया है। डीजीपी सिंह ने कहा, ‘नेपाली बैंक खातों में रकम कहां से आई? उसका सोर्स क्या था? नेपाल में लिंक कौन से हैं? फहीम और सदाकत किसे रकम देते थे? उस रकम से किस तरह की आतंकी गतिविधियां चलाई जाती थीं और उससे किन लोगों को फायदा होता था? ऐसे कुछ सवाल हैं जिनका जवाब एटीएस खोजेगा।’ पुलिस ने संदिग्धों के पास 1.35 लाख रुपये की नेपाली करंसी और 4.75 लाख रुपये की इंडियन करंसी जब्त होने का दावा किया है।
Source: National