जब प्रधानमंत्री मोदी ने रावण पर चलाया तीर
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को द्वारका स्थित डीडीए ग्राउंड में आयोजित में शिरकत की और तीर छोड़कर रावण के पुतले का दहन किया। बुराई पर अच्छाई की जीत के इस त्योहार पर उन्होंने देश की जनता से अपील की कि वे भी अपने अंदर के रावण को खत्म करें, तभी उत्सव को सही मायने में मनाया जा सकता है। उन्होंने महिलाओं के सम्मान की अपील की तो सिंगल यूज्ड प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पूरी तरह बैन के लिए सामूहिक योगदान का आह्वान किया।
‘उत्सव जोड़ने का मौका’
उन्होंने कहा, ‘भारत उत्सवों की धरती है और साल का शायद ही कोई एक दिन हो जिस दिन कोई त्योहार नहीं मनाया जाता है। उत्सव हमें जोड़ते भी हैं और मोड़ते भी हैं। उत्सव उमंग उत्साह भरते हैं और नए-नए सपने को सजाने का सामर्थ्य भी देते हैं। उत्सव हमारे सामाजिक जीवन का प्राण तत्व भी है।’ उन्होंने कहा कि उत्सव के दौरान हमारे यहां प्रतिभा को निखारने का, प्रतिभा को सामाजिक गरिमा देने का, प्रतिभा को पुरस्कृत करने का प्रयास चलता है। उत्सव के साथ विभिन्न प्रकार की कला जुड़ी है। इसलिए भारतीय परंपरा रोबोट पैदा नहीं होते हैं, जीते-जागते इंसान पैदा होते हैं।
महिलाओं का करें सम्मान
ने कहा, ‘मां की उपासना शक्ति की साधना करने वाला देश हर मां और बेटी का सम्मान, गौरव और गरिमा की रक्षा करे, यह संकल्प लेना हमारी जिम्मेदारी बनती है।’ उन्होंने कहा कि दिवाली पर लक्ष्मी का पूजन करते हैं, हमारे मन में सपना होता है। जबकि हर घर, मोहल्ले,गांव और शहर में भी बेटी के रूप में लक्ष्मी होती है तो हम ऐसा क्यों न करें कि जिन बेटियों ने जो हासिल किया है जो हमें प्रेरणा दे सकती हैं। उन्हें सामूहिक कार्यक्रम कर सम्मानित करें, वही हमारा लक्ष्मी पूजन होना चाहिए।
वायु सेना को बधाई
वायु सेना को स्थापना दिवस की बधाई देते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आज विजया दशमी का त्योहार है और वायु सेना का भी जन्मदिन है। हमारे देश की वायु सेना जिस प्रकार पराक्रम की नई ऊंचाइयों को छू रही है। आज मौका है कि जब हम भगवान हनुमान को याद करते हैं वायु सेना को भी याद करें, उसके सभी जाबांजों को याद करें।’
देश की संपत्ति बचाने का लें संकल्प
पीएम मोदी ने इस मंच से देश की जनता से देश की संपत्तियों को बचाने का संकल्प लेने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जब हम आज गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं तो हम यह संकल्प लें कि हम देश की भलाई के लिए एक संकल्प पूरा करके रहेंगे। अगर मैं पानी बचाता हूं तो संकल्प है, कभी खाना खाता हूं जूठा नहीं छोड़ूंगा वह भी संकल्प, बिजली बचाना संकल्प है, देश की संपत्ति का नुकसान न हो वह भी संकल्प हो सकता है। उन्होंने राम सेतु के निर्माण के उदाहरण देते हुए सामूहिक शक्ति का महत्व दर्शाया और कहा कि हम भी इस शक्ति के माध्यम से अपने संकल्पों को पूरा करेंगे।