मंतूराम ने कहा अंतागढ़ मामले में रमन सिंह अजीत व अमित जोगी थे शामिल

मंतूराम ने कहा अंतागढ़ मामले में रमन सिंह अजीत व अमित जोगी थे शामिल
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रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजनीती को झकझोर कर रख देने वाले अंतागढ़ टेप कांड में एक बार फिर नया मोड़ आ गया है. मंतूराम ने कहा अंतागढ़ मामले में रमन सिंह अजीत व अमित जोगी शामिल थे। पवार ने शपथ में कहा कि उप चुनाव में नाम वापसी के खेल के पीछे 7 करोड़ की डील थी। इस खेल में पूर्व मुख्यमंत्री व्दय डॉ. रमन सिंह व अजीत जोगी, पूर्व मंत्री राजेश मूणत तथा पूर्व विधायक अमित जोगी जैसे नेताओं की भूमिका रही।

शपथ पत्र में मंतूराम पवार ने कहा इस पूरे खेल में फिरोज सिद्दीकी एवं अमीन मेमन महत्वपूर्ण कड़ी रहे। इन दोनों ने ही मुझे बताया कि डॉ. रमन सिंह, अजीत जोगी एवं अमित जोगी आपस में मिले हुए हैं। इन दोनों ने मुझसे कहा कि अंतागढ़ उप चुनाव से नाम वापसी के लिए 7 करोड़ पर रमन सिंह, अजीत जोगी एवं अमित जोगी से बात हो चुकी है।

भूपेश बघेल को अजीत जोगी पसंद नहीं करते। जोगी इस चुनाव में बघेल को सबक सीखाना चाहते हैं। फिरोज सिद्दीकी ने फोन लगाकर रमन सिंह से मेरी बात करवाई। फिरोज व अमीन ने कहा कि यदि तूम नाम वापस नहीं लिए तो तूम्हारे पूरे खानदान के लिए ये लोग खतरा बन सकते हैं। यह सब सुनकर मैं दुखी और भयभीत हो गया। मेरे पास पुलिस अफसर कांकेर का भी फोन आया कि मान जाओ नहीं तो तुम्हें भी झीरम घाटी सा परिणाम भुगतना होगा।

मुझे राजेश मूणत के घर लाया गया। मेरे सामने ही राजेश मूणत ने सात करोड़ निकालकर फिरोज सिद्दीकी व अमीन मेमन को दिए। मैं बिकाऊ नहीं हूं। इस घटना में मैं अभियुक्त नहीं हूं। मैं जनता के सामने निष्पक्ष रूप से बात रखना चाहता हूं कि किस तरह रमन सिंह, अजीत जोगी एवं अमित जोगी ने षड़यंत्रपूर्वक घेरकर मेरे जीवन को बरबाद कर दिया। यह कथन मैं माननीय न्यायालय के समक्ष स्वतंत्र चित्त मन से प्रस्तुत कर रहा हूं। कृपया इसे स्वीकार करें।

इधर मंतुराम के बयान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि पूर्व विधायक मंतूराम पवार ने अंतागढ़ टेप कांड में मेरे नाम का जो जिक्र किया उसमें साफ तौर पर बदलापुर की राजनीति नजर आ रही है।उन्होंने कहा मैं यह बताना चाहूंगा कि इस पूरे प्रकरण से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। चूंकि दंतेवाड़ा विधानसभा उप चुनाव नजदीक है, इस कारण कांग्रेस की सोची समझी रणनीति के तहत मंतूराम पर दबाव बनाकर यह बयान करवाया गया है। इस बयान को पढ़ने से यह स्पष्ट प्रताीत होता है कि बयान मंतूराम व्दारा स्वेच्छावश नहीं दिया गया है बल्कि राजनीति दबाववश करवाया गया है।

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