शनिदेव क्यों हैं काले और क्यों रखते हैं पिता सूर्यदेव से वैरभाव

शनिदेव क्यों हैं काले और क्यों रखते हैं पिता सूर्यदेव से वैरभाव
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शनि एक ऐसा नाम है जिसे पढ़ते-सुनते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न हो जाता है. ऐसा कहा जाता है कि शनि की कुदृष्टि जिस पर पड़ जाए वह रातो-रात राजा से भिखारी हो जाता है और वहीं शनि की कृपा से भिखारी भी राजा के समान सुख प्राप्त करता है. यदि किसी व्यक्ति ने कोई बुरा कर्म किया है तो वह शनि के प्रकोप से नहीं बच सकता है. शनिदेव और सूर्यदेव की आपस में नहीं बनती. शनि सूर्य से शत्रुता का भाव रखते हैं. शनि और सूर्य के संबंध में शत्रुता तो ठीक है लेकिन हैरानी की बात यह है कि शनि सूर्य के पुत्र हैं और पिता पुत्र में शत्रुता का संबंध कैसे हो सकता है? तो आइये आपको बताते हैं कैसे शनिदेव बने अपने पिता के शत्रु.

पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य और शनि की इस शत्रुता के पिछे की कहानी कुछ इस प्रकार है. हुआ यूं कि सूर्यदेव का विवाह त्वष्टा की पुत्री संज्ञा के साथ हो गया. अब सूर्यदेव का तेज था बहुत अधिक जो संज्ञा से सहन नहीं होता था फिर भी जैसे-तैसे उन्होंनें सूर्यदेव के साथ जीवन बिताना शुरु किया वैवस्त मनु, यम और यमी के जन्म के बाद उनके लिये सूर्यदेव का तेज सहन करना बहुत ही मुश्किल होने लगा तब उन्हें एक उपाय सूझा और अपनी परछाई छाया को सूर्यदेव के पास छोड़ कर वे चली गई. सूर्यदेव को छाया पर जरा भी संदेह नहीं हुआ कि यह संज्ञा नहीं है अब सूर्यदेव और छाया खुशी-खुशी अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे उनके मिलन से सावर्ण्य मनु, तपती, भद्रा एवं शनि का जन्म हुआ.

जब शनि छाया के गर्भ में थे छाया तपस्यारत रहते हुए व्रत उपवास करती थीं. कहते हैं कि अत्यधिक उपवास करने के कारण गर्भ में ही शनिदेव का रंग काला हो गया. जन्म के बाद जब सूर्यदेव ने शनि को देखा तो उनके काले रंग को देखकर उसे अपनाने से इंकार करते हुए छाया पर आरोप लगाया कि यह उनका पुत्र नहीं हो सकता, लाख समझाने पर भी सूर्यदेव नहीं माने. इसी कारण खुद के और अपनी माता के अपमान के कारण शनिदेव सूर्यदेव से वैरभाव रखने लगे. शनि देव ने अपनी साधना तपस्या द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर अपने पिता सूर्य की भाँति शक्ति प्राप्त की और शिवजी ने शनि देव को वरदान मांगने को कहा, तब शनि देव ने प्रार्थना की कि युगों युगों में मेरी माता छाया की पराजय होती रही हैं, मेरे पिता पिता सूर्य द्वारा अनेक बार अपमानित व् प्रताड़ित किया गया हैं.

अतः माता की इच्छा है कि मेरा पुत्र अपने पिता से मेरे अपमान का बदला ले और उनसे भी ज्यादा शक्तिशाली बने. तब भगवान शंकर ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा सर्वश्रेष्ठ स्थान होगा.मानव तो क्या देवता भी तुम्हरे नाम से भयभीत रहेंगे. शनि के सम्बन्ध मे हमे पुराणों में अनेक आख्यान मिलते हैं. माता के छल के कारण पिता ने उसे शाप दिया. पिता अर्थात सूर्य ने कहा,”आप क्रूरतापूर्ण द्रिष्टि देखने वाले मंदगामी ग्रह हो जाये.

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