न्यायपालिका और सरकार के बीच तनाव एक बार फिर उभरा
नयी दिल्ली : न्यायपालिका और सरकार के बीच तनाव आज एक बार फिर से उभर कर सामने आया क्योंकि दोनों पक्षों ने लक्ष्मण रेखा लांघने के खिलाफ एक दूसरे को सचेत किया. कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने याद दिलाया कि आपातकाल के दौरान उच्चतम न्यायालय नाकाम रहा है जबकि उच्च न्यायालयों ने काफी साहस दिखाया था. दोनों पक्षों के बीच मतभेद पहली बार तब दिखा जब प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) टीएस ठाकुर ने आज सुबह एक कार्यक्रम में कहा कि उच्च न्यायालयों और अधिकरणों में न्यायाधीशों की कमी है. इस विचार से प्रसाद ने सख्त असहमति जताई.
बाद में उच्चतम न्यायालय के लॉन में एक अन्य कार्यक्रम में सीजेआई ने सचेत किया कि सरकार के किसी भी अंग को लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि न्यायपालिका को यह देखने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है कि सभी अंग अपनी सीमा में रहें.वह अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को जवाब दे रहे थे जिन्होंने आपातकाल और अन्य राजनीतिक परिदृश्यों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘1970 के दशक में संविधान के इस नाजुक संतुलन को बिगाड दिया गया था। उस संतुलन को बहाल किए जाने की जरुरत है.’ कुछ घंटों बाद रोहतगी ने एक अन्य विधि दिवस कार्यक्रम में सीजेआई और उनके संभावित उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति जेएस खेहड की मौजूदगी में कहा कि न्यायपालिका सहित सभी को यह अवश्य मानना चाहिए कि एक लक्ष्मण रेखा है और आत्मावलोकन के लिए तैयार रहना चाहिए.