सरायकेला : होली पर निकलेगी राधा-कृष्ण की दोल यात्रा, दिखेगी प्राचिन परंपरा की झलक
सरायकेला : धार्मिक नगरी सरायकेला की होली इस वर्ष भी अन्य शहरों से कई मायनों में अलग होगी. सरायकेला की होली में वर्षो से चली आ रही उत्कल की प्राचिन व समृद्ध परंपरा की झलक दिखाई देगी. होली को क्षेत्र के लोग दोल पूर्णिमा या दोल यात्रा के रुप में मनाते हैं.
20 मार्च को होली के दिन यहां पवित्र दोल यात्रा का आयोजन किया जायेगा. दोल यात्रा पर सरायकेला में भगवान श्रीकृष्ण अपने प्रेयसी राधारानी के साथ नगर भ्रमण करेंगे. इस दौरान शहर के हर घर में दस्तक देंगे तथा भक्तों के साथ रंग गुलाल खेलेंगे. इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है.
* मृत्यंजय खास मंदिर से होगी दोल यात्रा की शुरुआत
दोल पूर्णिमा के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण व राधा रानी के दोल यात्रा की शुरुआत कंसारी टोला स्थित मृत्युंजय खास श्री राधा कृष्ण मंदिर से शुरु होगी. दो सौ साल पुरानी इस मंदिर में विधि पूर्वक राधा कृष्ण की विशेष पूजा अर्चना होगी. इस दौरान राधा कृष्ण की भव्य शृंगार कर राधा-कृष्ण विशेष विमान (पालकी) पर सवार किया जायेगा. फिर कर उन्हें मलाई भोग लगाया जायेगा. फिर कान्हा राधा रानी के साथ पालकी पर सवार हो कर भक्तों के साथ रंग-गुलाल खेलने के लिये नगर भ्रमण पर निकलेंगे. नगर भ्रमण के दौरान राधारानी के साथ कान्हा हर घर में दस्तक देंगे और नगरवासियों के साथ गुलाल की होली खेलेंगे.
* शंखध्वनी व उलुध्वनी से होगा राधा-कृष्ण का स्वागत
दोल पूर्णिमा पर राधा-कृष्ण के नगर भ्रमण के दौरान भक्त पारंपरिक वाद्य यंत्र मृदंग, झंजाल, गिनी आदी के साथ दोलो यात्रा में शामिल होते हैं. इस दौरान हर घर में शंखध्वनी, उलुध्वनी के साथ भगवान श्रीकृष्ण का स्वागत किया जाता है. राधा कृष्ण के स्वागत के लिये श्रद्धालु अपने घर के सामने गोबर लेपन के साथ साथ रंग बिरंगी अल्पना भी बनाते है.
* पहले सात दिनों का होता था दलो पूर्णिमा
जानकार बताते हैं कि राजा-राजवाड़े के समय में दोल पूर्णिमा का उत्सव सात दिनों तक चलता था. पहले इसका आयोजन फागु दशमी से पूर्णिमा तक होता था. परंतु वर्तमान समय में वर्तमान में दोल यात्रा का आयोजन एक ही दिन दोल पूर्णिमा पर होता है. सरायकेला में दोल यात्रा का आयोजन आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली के द्वारा किया जाता है. आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली 1990 से उक्त आयोजन करती आ रही है. राज-राजवाडे के समय में वर्तमान पूरा आयोजन स्थानीय लोगों के सहयोग से होता है.
* श्रीकृष्ण के द्वादश यात्राओं में से एक महत्वपूर्ण यात्रा है दोल यात्रा
दोले तु दोल गोविंदम, चापे तु मधुसुदनम, रथे तु मामन दृष्टा, पुर्नजन्म न विद्यते…क्षेत्र में प्रचलित इस श्लोक के अनुसार दोल (झुला या पालकी), रथ व नौका में प्रभु के दर्शन के मनुष्य को जन्म चक्र से मुक्ति मिलती है. इस कारण दोल यात्रा के दौरान प्रभु के दर्शन को दुर्लभ माना जाता है. दोल यात्रा एक मात्र ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है, जब प्रभु अपने भक्त के साथ रंग-गुलाल खेलने के लिये उसके चौखट में पहुंचते है. इस क्षण का क्षेत्र के हर किसी व्यक्ति को इंतजार रहता है. जगत के पालनहार श्रीकृष्ण के द्वादश यात्राओं में से एक महत्वपूर्ण यात्रा है दोलो यात्रा.
* दोलो यात्रा में घोडा नाच व ढाक बाजा होगा मुख्य आकर्षण
इस वर्ष दोल यात्रा के दौरान पारंपरिक ढाक बाजा व पारंपरिक घोडा नाच आकर्षण का मुख्य केंद्र होगा. भगवान राधा-कृष्ण के विमान के आगे कलाकार घोडा नाच प्रस्तुत कर उत्कल की समृद्ध परंपरा को प्रदर्शित करेंगे. घोड़ा नाच देखने के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है.
* सड़क सुरक्षा पर निकाली जायेगी आकर्षक झांकी
दोल यात्रा के दौरान सड़क सुरक्षा अभियान को भी प्रमोट किया जायेगा. आयु रहते यम लोक को क्यों करते हो जाम, जियो वत्स सौ साल तुम, हेलमेट को तुम थाम… इस बार की झांकी का स्लोगन होगा. इस दौरान झांकी निकाल कर लोगों से हेलमेट पहनने की अपील की जायेगी. हेलमेट नहीं पहनने व यातायात नियमों का अनुपालन नहीं करने से हो रही दुर्घटनाओं को झांकी के जरीये प्रदर्शित किया जायेगा.
* दोलो यात्रा पर पूजा का समय
4.10 : बिमान में प्रवेश कर दोलो यात्रा के लिये निकलेंगे
4.40 : प्रभु को माखन मिश्री भोग अर्पण
4.45 : प्रभु को गुलाल अर्पण 4.50 : नगर भ्रमण
– आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली के द्वारा हर वर्ष दोल यात्रा का आयोजन किया जाता है. प्रभु राधा-कृष्ण विमान पर सवार हो कर घर घर दस्तक देते है. दोल यात्रा एक धार्मिक कार्यक्रम है. दोल यात्रा के दौरान प्रभु के दर्शन से मोक्ष की प्राप्ती होती है. इस वर्ष का दोल यात्रा कार्यक्रम ऐतिहासिक होगा. पारंपरिक घोडा नाच आकर्षण का केंद्र होगा. ज्योतिलाल साहु, संस्थापक, आध्यात्मिक उत्थान श्री जगन्नाथ मंडली, सरायकेला
(साभार : प्रभातखबर.कॉम)