विदाई की बेला में भाजपा को याद आ रहा लोकपाल और चौकीदार की भूमिका
रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि मैं भी हूं अन्ना के तर्ज पर मैं भी हूं चौकीदार का जो अभियान चलाने की कोशिश की जा रही है वह अन्ना अभियान की बदसूरत नकल है। सच्चाई यह है कि 2013 में कांग्रेस सरकार के द्वारा लोकपाल और लोकायुक्त विधेयक प्रस्तुत किया गया था। जिसके धारा 63 के तहत एक साल के भीतर लोकपाल नियुक्त करने का प्रावधान था। विधेयक 16 जनवरी 2014 को लागू हुआ था। विगत 5 वर्षो तक मोदी जी चोरों के भागीदार और भ्रष्टाचारियों के संरक्षक बने रहे और अब विदाई की बेला में चौकीदार कहलाने की लाइन में खड़े हो गये। भ्रष्टाचार और पारदर्शिता के लिये यूपीए सरकार द्वारा लागू इस महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक संस्था को मोदी ने अपने चंद मित्रों के फायदे के लिये रोके रखा और अब चुनाव के वक्त आचार संहिता लगने के बाद लोकपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना भाजपा का केवल एक ढोंग है। विगत 5 वर्षो में न तो केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा और न ही भाजपा शासित राज्यों में लोकपाल विधेयक के प्रभावी क्रियान्वयन के लिये कोई ठोस कदम उठाया, बस खानापूर्ति चलती रही। भाजपा शासित राज्यों में तो यह हाल है कि विगत लंबे समय से सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मुख्य सूचना आयुक्त की नियुक्ति भी नहीं की गयी है। इनकी कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। देश के लोकतांत्रिक संस्थानों (सीबीआई, ईडी, आईटी, सुप्रीम कोर्ट) में इनका अनैतिक हस्ताक्षेप किसी से छुपा नहीं है। मोदी देश के तानाशाह बन बैठे है। लोकतंत्र को खत्म करने की साजिश हो रही है। सरकारी विभागों और कंपनियों को नुकसान पहुंचाकर निजी कंपनियों को सौपने की साजिश चल रही है। नीरव मोदी, मेहुल चौकसे, विजय माल्या जैसे लोगो को लूटी की खुली छूट देकर अब चुनाव की बेला में चौकीदार बनने चले है। सारे छंटे हुए बड़ी चोरी के साझेदार एक साथ देश के “चौकीदार“ हो गए। छत्तीसगढ़ की जनता बखूबी जानती है कि किसने चोरी किया है, किसने भ्रष्टाचार किया है किसने इनको संरक्षण दिया है। अपने आप को चौकीदार कहने से लोग माफ नहीं करेंगे। छत्तीसगढ़ की जनता अब इनको चौकीदार के रूप में स्वीकार नहीं करती है। चौकीदार कभी कथनी करनी में अंतर नहीं करते हैं, चौकीदार जान देकर भी चौकीदारी के कर्तव्य को बखूबी निभाते। भाजपाई चौकीदारों का अपमान ना करें। 100 दिन में विदेशों से काला धन वापस लाने की बात कही गई, सब के खातों में 15-15 लाख आने की बात कही गई। मजबूत लोकपाल की बात कही गई। 2014 के लोकसभा चुनाव के समय दिल्ली में एक बड़ा जमावड़ा किया गया जिसमें अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी सब शामिल थे। मोदी बन गये प्रधानमंत्री बाबा रामदेव मसालों, तेल आटा के देश के सबसे बड़े व्यापारी केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने। किरण बेदी राज्यपाल इन सबको कुछ न कुछ मिला सिर्फ देश को कुछ नहीं मिला। चौकीदार चोर है या नहीं क्या लोकसभा चुनाव इसी मुद्दे पर होगा? जनहित के अन्य मुद्दे हाशिये पर होंगे? अचानक इतने चौकीदारों को देखकर ऐसा लग रहा है देश में कितनी तरक्की हो गई है। लेकिन इनको पगार कौन देगा? दाड़ी वाला चौकीदार तो चोर है। इतने जवान शहीद हुए किसी ने लिखा कि मैं भी सैनिक..? एक चोर की कुर्सी बचानी है तो भाजपाई कहने लगे मैं भी चौकीदार!