रिम्स में पांच हजार में होगा किडनी की पथरी का इलाज
रांची : रिम्स के यूरोलॉजी विभाग में एक्सट्राकारपोरल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी मशीन आ चुकी है. इस पद्धति से यहां मरीजों का इलाज दिसंबर से शुरू होने की उम्मीद है. मशीन को फिलहाल इंस्टॉल किया जा रहा है.
रिम्स प्रबंधन इसके लिए टेक्निशियन व स्टॉफ की नियुक्ति आउटसोर्सिंग के माध्यम से करेगा. रिम्स में पथरी का इलाज कराने पहुंचे मरीज को कैश काउंटर से 5,000 रुपये की परची कटानी पड़ेगी. यह परची सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के यूरोलाॅजी विंग में जमा करने के बाद मरीज का इलाज शुरू हो जायेगा.
चार सिटिंग में पूरा होता है इलाज : इएसडब्ल्यूएल विधि से किडनी की पथरी को निकलवाने के लिए एक मरीज को चार सिटिंग आना पड़ता है. अगर पथरी का आकार छोटा है, तो एक सिटिंग में इलाज हो जाता है. इसमें ऑपरेशन करने की बजाय छोटा चीरा लगा कर पथरी को तोड़ कर हटाया जाता है.
30 हजार खर्च आता है निजी अस्पतालों में
रिम्स यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ अरशद जमाल ने बताया कि राजधानी रांची के निजी अस्पतालों में इएसडब्ल्यूएल पद्धति से इलाज कराने पर 26 से 30 हजार रुपये प्रति सीटिंग के हिसाब से पैसा लिया जाता है. वेल्लोर में इतना ही खर्च आता है. वहीं, पीजीआइ चंड़ीगढ़ में करीब 7,000 प्रति सीटिंग का खर्च आता है. हमने अपने राज्य के लोगों के लिए इलाज की दर 5,000 रुपये तय की है.
इएसडब्ल्यूएल का मशीन आ गयी है. इंस्टॉलेशन हो रहा है. हमारा प्रयास है कि दिसंबर से इसे शुरू कर दिया जाये.
डॉ बीएल शेरवाल, निदेशक रिम्स