ई-टेंडरिंग घोटाला : मध्यप्रदेश में व्यापम की तरह एक और बड़ा घोटाला
भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार पर एक बार फिर से बड़ा आरोप लगा है. व्यापम के बाद एक और बड़े घोटाले का आरोप सरकार पर लगा है, यह है ई-टेंडरिंग घोटाला.
लगभग तीन महीने पहले यह मामला खुला लेकिन इसकी जांच में जुटी आर्थिक अपराध शाखा के हाथ खाली हैं क्योंकि तीन खत भेजने के बावजूद ईओडब्लू को केंद्र सरकार के इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम के भोपाल आने का इंतज़ार है.
घोटाला मोटे तौर पर ऐसे समझा जा सकता है कि कहने को तो टेंडर कि यह प्रक्रिया ऑनलाइन थी लेकिन इसमें बोली लगाने वाली कंपनियों को पहले ही सबसे कम बोली का पता चल जाता था.
फौरी तौर पर ई-टेंडर प्रक्रिया में 3000 करोड़ के घोटाले की बात सामने आ रही है, लेकिन चूंकि यह प्रक्रिया 2014 से ही लागू है जिसके तहत तकरीबन तीन लाख करोड़ रुपये के टेंडर दिए जा चुके हैं.
23 जून को राजगढ़ के बांध से हज़ार गांवों में पेयजल सप्लाई करने की योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, लेकिन उससे पहले यह बात पकड़ में आई कि ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ करके लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी यानी पीएचई विभाग के 3000 करोड़ रुपये के तीन टेंडरों के रेट बदले गए हैं.
मामला सामने आते ही, मध्यप्रदेश स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के उस वक्त के एमडी मनीष रस्तोगी ने पीएचई के प्रमुख सचिव प्रमोद अग्रवाल को खत लिखा और तीनों टेंडर कैंसिल कर दिए गए.