अटल जी देश में ही नहीं विदेशों में भी सर्वमान्य नेता थे : मुख्यमंत्री
रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज आकाशवाणी से प्रसारित अपनी मासिक रेडियो वार्ता ‘रमन के गोठ’ भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अटल जी की जुबान पर माता सरस्वती का वास था। भाषा पर उनका अधिकार और अपनी बात कहने की जो क्षमता थी वह उनके मन की तरह निश्छलता और सफाई के साथ लोगों के दिलों में उतरती थी, जिसके कारण सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी वे सर्वमान्य नेता कहलाते थे।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का प्रतिनिधित्व
वर्ष 1977 में श्री मोरारजी देसाई की सरकार में अटल जी को विदेश मंत्री बनाया गया था। उन्होंने चीन और पाकिस्तान का दौरा करके पड़ोसियों से संबंध सुधारने की शुरुआत की थी। वर्ष 1993 में जब वे नेता प्रतिपक्ष थे, तब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की बैठक में केंद्र सरकार ने भारत का पक्ष रखने के लिए अटल जी को चुना और अटल जी ने जिनेवा में जिस तरह भारत का प्रतिनिधित्व किया वह यादगार हो गया। दलगत राजनीति से राष्ट्रीय हितों के लिए एकजुटता से उन्होंने यह साबित कर दिया कि राष्ट्र सबसे ऊपर है। इसी तरह अटल जी ने समरसता और समन्वय की राजनीति के नए युग का सूत्रपात भी किया। वर्ष 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण से भारतीय संप्रभुता को आंख दिखाने वालों को भारतीय सामर्थ्य का चमत्कार उन्होंने दिखाया। वर्ष 1999 में कारगिल युद्ध के समय अपनी अटल आक्रामक छवि दिखाई और भारत को रणभूमि में जीत दिला कर इतिहास रचा। सन 2000 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को बुलाकर अटल जी ने आर्थिक मोर्चे पर एक नई शुरुआत की। वर्ष 2001 में पड़ोसी से रिश्ते सुधारने की पहल और लाहौर के लिए उन्होंने बस यात्रा शुरू की। दुनिया के सामने भारत की छवि एक सशक्त देश के रूप में स्थापित करने में अटल जी का योगदान अमूल्य है।
अटल जी ने किया तीन राज्यों का निर्माण
मुख्यमंत्री ने कहा कि अटल जी ने सुधार और अधोसंरचना निर्माण के लिए नई सोच लाने का साहसिक काम किया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोजेक्ट, स्वर्णिम चतुर्भुज, राष्ट्रीय राजमार्ग योजना, टेलीकॉम संपर्क और ऊर्जा के क्षेत्र में स्वावलंबन की पहल अद्भुत साबित हुई। देश के पिछड़े अंचलों में विकास की गंगा बहाने के लिए अटल जी ने 3 नए राज्यों छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड का निर्माण किया। यह कार्य इतनी संजीदगी के साथ किया गया कि अलग होने वाले और पूर्व प्रदेशों के बीच समन्वय और स्नेह बना रहा