कृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा है बेहद दुर्लभ संयोग
जन्माष्टमी का पावन पर्व कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 2 सितम्बर को पड़ रहा है। इसका शुभ मुहूर्त रात में 23:58 से 00:44 तक करीब 45 मिनट का है। जन्माष्टमी का पारण 3 सितम्बर को होगा।
भगवान श्री कृष्ण परम ब्रम्ह हैं। वह भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार हैं। भजन, नृत्य, गीत और संगीत से भाव पूर्वक पूजन और समर्पण से अति शीघ्र प्रसन्न होने वाले योगेश्वर कृष्ण समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं। भगवान के जन्मोत्सव को पूरी श्रद्धा से और कृष्ण जन्म विधि विधान से करने से अविरल भक्ति प्राप्त होती है। सुजीत जी महाराज से जानें, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर कृष्ण जी की पूजा विधि..
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में ऐसे करें पूजा:
कृष्ण जन्मोत्सव के लिए कई दिनों से ही तैयारी में जुट जाना चाहिए। मंदिर को साफ और गंगा जल से पवित्र करें। पूरे घर को गंगा जल से और गाय के गोबर से पावन करें। सुंदर पताकों, सुगंधित धूप बत्ती और इत्र की खुशबू से पूरा वातावरण भक्ति के आगोश में मदमस्त कर लें।
प्रातः मंदिर में बाल कृष्ण की मूर्ति को झूले में आसन देकर विराजमान करते हैं। जगमग रोशनी से नहाया हुआ पूरा मंदिर सुशोभित रहेगा। भगवान को स्नान भोग इत्यादि लगाके ही नियमित पूजा की तरह ही बैठाइए। अब पूरे दिन कीर्तन और बाल कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए नृत्य और संगीतमय भजन समूह में करिये। सायंकाल के बाद तो पूरे उत्सव जैसा वातावरण परिलक्षित हो।