आम लोगों को दिक्कत नहीं, सिर्फ काला धन वाले डरे हैं: वित्त मंत्री
नई दिल्लीः देश में कल रात से 500-1000 रुपये के मौजूदा नोटों को बंद कर दिया गया है और पीएम मोदी के इस फैसले का राजनीतिक दल से लेकर सिलेब्रिटी तक तारीफ कर रही हैं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार देश को कैशलेस इकोनॉमी की तरफ ले जाना चाहती है और इस दिशा में ये फैसला मील का पत्थर है. ये आर्थिक सुधारों की दिशा में बहुत बोल्ड कदम है जो बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था. ये देश के स्वभाव को बदलने वाला फैसला है जिसका अर्थव्यवस्था पर लंबे समय में बेहद सकारात्मक इसर आएगा.
डीडी न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 500-1000 रुपये के नोट बंद होने से ज्यादा तकलीफ की बात बेबुनियाद है और ईमानदार लोग इस फैसले से बेहद खुश हैं. बैंकिंग व्यवस्था के अंदर डिपॉजिट बढ़ेंगे और सिस्टम में ज्यादा पैसा आएगा जिससे भारत की इकोनॉमी को बेहद फायदा मिलेगा. जो लोग ईमानदार हैं उन्हें अपनी ईमानदारी पर गर्व होगा और इस फैसले से सिर्फ काले धन वाले परेशान होंगे. बैंक में जो बड़ी मात्रा में पैसा लेकर जाता है वो आराम से पैसा जमा करा सकता है उसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप इसपर टैक्स बचा जाएगा. किसी ने घर में 25-50 हजार बचा रखा है उसके लिए बैंक में जाकर पैसा जमा कराने पर कोई पाबंदी नहीं हैं.
कुछ दिन आपको हल्की तकलीफ हो सकती है लेकिन लंबे समय में इस फैसले के फायदे सामने आने लगेंगे जिससे लोगों को पता चलेगा कि ये इकोनॉमी के साथ-साथ आम जनता के लिए भी बेहद फायदेमंद रहेगा. आने वाले 3-4 हफ्ते में नए नोटों से बाजार भर जाएगा और लोगों को लिक्विडिटी की कोई दिक्कत नहीं होगी.
वित्त मंत्री ने कहा कि 2004 से 2014 तक यूपीए की लगभग निष्क्रिय सरकार रही. मोदी सरकार उससे बिलकुल अलग है और ऐसे फैसले ले रही है जिससे देश की तस्वीर बदल जाएगी, ऑफिशियल ट्रांजेक्शन बढ़ने से पक्के तौर पर सिस्टम में पारदर्शिता आएगी. प्रधानमंत्री मोदी रूटीन सरकार के खिलाफ हैं और ऐसे फैसले लेने में यकीन रखते हैं जो देश को तरक्की की राह पर ले जाएं.
बिना किसी चेतावनी के इस फैसले को लिए जाने पर वित्त मंत्री ने कहा कि बड़ा फैसला अचानक लेना होता है और इसके सारे असर को सोचसमझकर ही ये कदम उठाया गया है. पहले सरकार ने ब्लैकमनी के खिलाफ एसआईटी बनाई और इसके बाद आईडीएस 2016 के जरिए ब्लैकमनी वालों को बेहतरीन मौका दिया. फिर भी जिन लोंगों ने काले धन का खुलासा नहीं किया उनके लिए ये खबर बुरी साबित होगी. कालेधन वाले परेशान होंगे लेकिन उसके लिए वो ही जिम्मेदार हैं.
ज्यादा समय इसलिए नहीं दिया गया ताकि इसके जरिए काले धन को सफेद बनाने का असामाजिक तत्वों को मौका ना मिल पाए. लोग कह रहे हैं कि छोटे कैमिस्ट की दुकान, निजी अस्पतालों को 500-1000 रुपये के नोट स्वीकार करने के लिए और समय दिया जाना चाहिए था लेकिन सरकार ये नहीं चाहती कि ये दुकानें मनी ट्रांजेक्शन का अड्डा ना बन जाए. हमने प्राइवेट अस्पतालों को इसलिए बाहर रखा ताकि छोटी छोटी केमिस्ट की दुकानें और डायगनोस्टिक सेंटर मनी चेंजर सेंटर ना बन जाएं.
500-2000 रुपये के नए नोट आने के बाद देश में जो जाली करेंसी का जाल फैला हुआ है वो पूरी तरह खत्म हो जाएगा. इसी तरह जीएसटी के आने से सामान ऑफिशियल तरीके से खरीदने पर आप सही तरीके से टैक्स देंगे और दुकानदार भी सही तरीके से टैक्स का भुगतान करेगा.
अरुण जेटली ने साफ किया कि इस फैसले का आने वाले चुनावों से कोई लेना-देना नहीं है और राजनीति में काले धन के इस्तेमाल को भी ये रोक देगा जो अंतत: देश की जनता के लिए ही फायदेमंद रहेगा. चुनावों में जो पार्टियां अंधाधुंध खर्चा करती हैं वो काफी मात्रा में काले धन का हिस्सा होता है. 500-1000 रुपये के नोटों पर रोकथाम से उस पर लगाम लग पाएगी.