सेवा से ही समाज व देश का हो सकता है भला : भागवत
पटना : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने कहा कि सेवा ही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है. नर सेवा ही नारायण की सेवा है. सेवा के जरिये ही समाज और देश का भला हो सकता है. उन्होंने कहा कि सेवा में संवेदना महत्वपूर्ण है. मन की संवेदना और स्वयं की प्रेरणा से शुरू होने वाले सेवा कार्य का उत्तरोत्तर विकास होते जाता है. जो मन से लगते हैं, प्रयास करते हैं, कमी को पूरा करते जाते हैं तो उनकी सेवा में भावना महत्वपूर्ण हो जाती है और उससे वह कार्य उत्कृष्टता को प्राप्त कर लेता है. यह बात सेवा को महत्वपूर्ण और सार्थक बनाती है. उन्होंने विकलांग मुक्त बिहार के अभियान का समर्थन किया
वह सोमवार का भारत विकास विकलांग अस्पताल में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नवनिर्मित मरीज वार्ड, स्व. देवकीनंदन माथुर कक्ष और सोहनी देवी भंवर लाल जैन कक्ष का उद्घाटन करने के बाद समारोह को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि बहुत बड़ी पूंजी वालों द्वारा शुरू किये गये सेवा कार्य और स्वयंसेवक के संकल्प से शुरू होने वाले सेवा कार्य में बहुत अंतर होता है.
एक स्वयंसेवक मन में संवेदना से प्रेरित होकर सेवा कार्य शुरू करता है. उसके सत्य संकल्प के साथ समाज के धनी लोगोें का सहयोग जुट जाता है. सेवा के लिए पैसों की जरूरत तो है, लेकिन उसके लिए मानसिक सहयोग भी बहुत महत्वपूर्ण है. समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, लेकिन काम करने वाले लोग भी निकलते जा रहे हैं. अपने देश में ऐसा नहीं दिखता कि समस्याएं हैं और उनका उपाय नहीं हो रहा है.
डाॅ भागवत ने कहा कि काम करने वाले भी कई प्रकार के होते हैं. कुछ जैसे-तैसे काम को करते हैं. वहीं नि:स्वार्थ एवं अपनापन के भाव के साथ सेवा कार्य करने वाले उत्कृष्टता के साथ समझौता नहीं करते हैं, उन्हें कीर्ति की अपेक्षा नहीं होती है.
समारोह में डाॅ बिंदेश्वर पाठक, हड्डी रोग विशेषज्ञ डाॅ एसएस झा और शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ शाह अद्वैत कृष्ण को सम्मानित किया गया. इस अवसर पर डाॅ बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि अपने परिवार से प्राप्त संस्कार हमें सेवा व सामाजिक जिम्मेदारियों को निभाने के रास्ते पर ले जाता है.