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वॉशिंगटन: एक पूर्व अमेरिकी राजदूत ने कहा है कि ट्रंप प्रशासन भारत को अमेरिकी विदेश नीति में प्रमुख तरजीही देश मानता है क्योंकि अमेरिका और भारत के बीच के रिश्ते दोनों देशों के सामूहिक भविष्य के लिए ‘वास्तव में जरूरी’ हैं. भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड राहुल वर्मा ने कहा कि रिश्तों का समग्र प्रगति पथ अच्छा है. वर्मा ने कहा , ‘मैं समझता हूं कि (ट्रंप प्रशासन में) भारत को अमेरिकी विदेश नीति का एक प्रमुख तरजीही देश माना जाता है.’ उन्होंने कहा, ‘संबंधों का समग्र मार्ग सुखद रहा है.’

वर्मा ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि यह इस सदी में अमेरिका के लिए अकेले सर्वाधिक अहम रिश्ता है और हमें यह नहीं मानना चाहिए कि चूंकि चीजें ठीक चल रही हैं , हम चीजों को खुद से चलने दे सकते हैं. इस तरह के रिश्ते हैं जो हमारे सामूहिक भविष्य के लिए वास्तव में जरूरी हैं और इसमें ढेर सारा समय और ढेर सारी ऊर्जा लगेगी.’ उन्होंने कहा कि वह पसंद करेंगे कि दोनों देश रक्षा क्षेत्र में निवेश के संदर्भ में अपने रिश्ते विकसित करें.

वॉशिंगटन डीसी में स्थित एक रणनीति एवं पूंजी सलाहकार समूह ‘द एशिया ग्रुप’ के उपाध्यक्ष वर्मा (48) ने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं कि ओबामा प्रशासन के पिछले दो या तीन वर्षों में हमने (संबंधों में) काफी प्रगति की है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी और (पूर्व) राष्ट्रपति ओबामा को जाता है. हमने कई अलग-अलग क्षेत्रों में काम किया, कई वार्ताएं की जिनके वास्तविक परिणाम निकले. हमारी उम्मीद है कि यह प्रगति जारी रहेगी.’ पूर्व राजदूत ने ओबामा प्रशासन में अपने कार्यकाल के दौरान अमेरिका और भारत के संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई.

वर्मा ने भारत के साथ संबंधों को अमेरिका के लिए इस सदी में सबसे महत्वपूर्ण करार देते हुए कहा, ‘हमें केवल यह नहीं मान लेना चाहिए कि क्योंकि चीजें सही नहीं चल रहीं तो हम उन्हें अपने हाल पर छोड़ सकते हैं.’ वर्मा ने एक साक्षात्कार में कहा कि उनका मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच जून में हुई बैठक अच्छी रही. उन्होंने कहा कि वह रक्षा के क्षेत्र में निवेश के लिहाज से दोनों देशों के बीच संबंधों को आगे बढ़ते हुए देखना चाहेंगे.

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