जिहाद के नाम पर आतंकवाद फैला रहा हाफिज सईद : पाकिस्तान

जिहाद के नाम पर आतंकवाद फैला रहा हाफिज सईद : पाकिस्तान
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लाहौर. पाकिस्तान सरकार ने माना है कि हाफिज़ सईद आतंकवादी गतिविधियों में शामिल है. इसलिए उसे नज़रबंद रखा गया है. आंतरिक मामलों के मंत्रालय ने ज्यूडीशियल रिव्यू बोर्ड के सामने उसकी नज़रबंदी को सही ठहराते हुए ये बात कही है.

पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने न्यायिक समीक्षा बोर्ड के समक्ष ये दलील रखी है. पुलिस ने शनिवार को सईद और उसके चार साथियों को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एजाज अफजल खान की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायिक समीक्षा बोर्ड के समक्ष पेश किया.

इस बोर्ड में लाहौर हाई कोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस आयशा ए. मलिक और बलूचिस्तान हाई कोर्ट के न्यायाधीश जमाल खान मंडोखेल भी शामिल हैं. सुनवाई के दौरान सईद के वकील एके डोगर भी मौजूद थे, लेकिन लश्कर ए तैयबा के संस्थापक ने अपनी पैरवी खुद करने का फैसला किया.

सईद ने बोर्ड के समक्ष कहा कि सरकार की ओर से उसके खिलाफ लगाए गए आरोप कभी भी कोई सरकारी संस्था साबित नहीं कर पाई है.

उसे और उसके संगठन को कश्मीर की आजादी की आवाज उठाने और इस मसले पर सरकार की कमजोर नीति की आलोचना करने की वजह से निशाना बनाया जा रहा है.

उसे इसीलिए नजरबंद किया गया है ताकि वह कश्मीरी लोगों की आवाज बुलंद न कर सके. उसने अपनी याचिका में भी कहा है कि पाकिस्तान सरकार ने उसकी और उसके साथियों की गिरफ्तारी का कदम भारत और अमेरिका को खुश करने के लिए उठाया है.

लेकिन, पाकिस्तानी आंतरिक मंत्रालय ने उसकी दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. हालांकि, मंत्रालय ने बोर्ड के समक्ष यह जरूर स्वीकार किया कि उनकी गिरफ्तारी संयुक्त राष्ट्र संघ और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के दबाव में ही की गई है.

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद बोर्ड ने 15 मई को होने वाली मामले की अगली सुनवाई में आंतरिक मंत्रालय को सईद और उसके चारों साथियों (जफर इकबाल, अब्दुल रहमान आबिद, अब्दुल्ला उबैद और काजी कासिफ नियाज) की गिरफ्तारी पर पूरे रिकॉर्ड दाखिल करने का निर्देश दिया.

साथ ही पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल को भी मौजूद रहने के लिए कहा गया है. बता दें कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने 30 जनवरी को सईद और उसके चारों साथियों को नजरबंद कर लिया था.

इसके बाद 30 अप्रैल को उनकी गिरफ्तारी की मियाद 90 दिनों के लिए बढ़ा दी गई थी. लेकिन, पिछले गुरुवार को लाहौर हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सवाल किया कि सर

कार ने पांचों की गिरफ्तारी की मियाद बढ़ाने से पहले उन्हें न्यायिक समीक्षा बोर्ड के समक्ष पेश क्यों नहीं किया. पाकिस्तान ने जमात उद दावा और फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन को आतंकवाद रोधी कानून की दूसरी अनुसूची में शामिल किया हुआ है.

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