बालको में कला एवं साहित्य का रहा समृद्ध इतिहास

बालको में कला एवं साहित्य का रहा समृद्ध इतिहास
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भारत एक बहुसांस्कृतिक देश है जहां क्षेत्रीय आधार पर नृत्य, संगीत, रंगमंच, की विविधता देखने को मिलती है। देश के प्रत्येक राज्य की सभी संस्कृतियों एवं परंपरा को एक मंच पर लाकर बालको ने इस क्षेत्र को मिनी इंडिया बना दिया। कला विचारों और भावनाओं की अभिव्यक्ति का माध्यम है। कला एवं साहित्य से लोग समान विश्वास, दृष्टिकोण और मूल्यों को साझा करते हैं। बालको देश की कला, साहित्य एवं संस्कृति के समृद्ध इतिहास को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। कंपनी नगरवासियों के मनोरंजन के लिए समयांतराल पर कला एवं साहित्य से जुड़े विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करता रहा है।

1976 में बालको क्लब द्वारा गाला फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया जिसमें 20 पॉपुलर फिल्मों जंजीर, अभिमान, आनंद, अनुपमा, हम दो और नया दौर को दिखाया गया। मशहूर नाट्य निर्देशक हबीब तनवीर द्वारा 1977 में ‘नया थियेटर’ के अंतर्गत हास्य नाटक ‘चरणदास चोर’ तथा ‘गॉंव का नाम ससुराल, मोर नाम दमाद’ का तथा बालको कर्मचारियों द्वारा गठित सांस्कृतिक समिति ‘बानी कुंज’ ने तरूण ऑपेरा ऑफ कलकत्ता द्वारा स्पार्टाकस नाटक का सफल मंचन किया। आंध्रा समिति द्वारा बहुभाषी संगीत प्रतियोगिता में हिंदी, छत्तीसगढ़ी, तेलगू, मलयालम, बंगाली और तमिल भाषा के गाने प्रस्तुत किए गए। कुछ महीने के अंतराल में समिति ने पेंटिंग प्रतियोगिता का भी आयोजन किया।

आंध्रा मित्र कला मंडली द्वारा 1978 में राजामुद्री से ‘दुर्गा कुचिपुड़ी नृत्य कलाशाला’ समूह को कुचिपुड़ी नृत्य के लिए बुलाया था। समूह ने 18 तरीकों के कला तथा लोकनाट्य को प्रदर्शित किया जिसमें बालगोपाल, गोल्ला कलापम, भष्मासुर, कुचिपुड़ी, भारतनातट्यम और कथककली आदि की प्रस्तुति शामिल थी।

1982 के कवि गोष्ठी कार्यक्रम को आकाशवाणी, रायपुर से तीन सदस्यीय दल रिकार्ड करने आएं। श्रमिक, विद्यार्थी तथा बालको महिला मंडल से हुए बातचीत तथा अन्य कार्यक्रम को 12 अगस्त के दिन प्रसारित किया था। लेडिज क्लब द्वारा तीज उत्सव पर संगीत एवं नृत्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें रूसी महिलाओं ने भी गीत तथा समूह गान किया। इसी साल अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ‘राडोस्ट’ रूसी लोकनृत्य पर सोवियत (रूस) के कलाकारो ने अपने प्रस्तुति से सभी को लाजवाब कर दिया था।

वर्ष 1984-85 में भारत सरकार के खान विभाग ने अपने उपक्रम और संगठनों में हिंदी का प्रयोग बढ़ाने के उद्देश्य से राजभाषा शील्ड, राजभाषा ट्रॉफी और राजभाषा कप प्रदान करने की योजना शुरू की थी। इसी साल हिंदी में उत्कृष्ट योगदान के लिए बालको को पहली बार ही राजभाषा शील्ड का प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ।

1985 में मरहूम मोहम्मद रफी की पांचवी पुण्य तिथि के अवसर पर गजलों भरी शाम ‘याद-ए-रफी’ का सफल आयोजन किया। छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक मंडल ने ‘मशीन’, ‘मुर्गीवाला’ तथा ‘’जनता पागल’ है लघुनाटक की प्रस्तुति दी।

1986 में राष्ट्र कवि स्वर्गीय मैथिलीशरण गुप्त की जन्म-शताब्दी के अवसर पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया। इसमें देश के सुप्रसिद्ध हास्य और व्यंग के लोकप्रिय जनकवियों तथा गीतकारों को आमंत्रित किया गया था। इसमें सर्वश्री सुरेन्द्र शर्मा, संतोष आनंद, ओम प्रकाश आदित्य, हरि ओम पंवार, अशोक चक्रधर और पुरुषोत्तम प्रतीक उपस्थित थे।

हिंदी में बालको के योगदान को देखते हुए 1987 में इस्पात एवं खान मंत्रालय, खान विभाग के अधीन उपक्रम और संगठन के सेमिनार को बालको कोरबा संयंत्र में आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। सेमिनार का विषय ‘धातु उद्योग-समस्याएं और चुनौतियां’ थी।

1988 में बालको सार्वजनिक दुर्गा पूजा कमेटी द्वारा सुप्रसिद्ध पद्मश्री तीजनबाई के पंडवानी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार तीजनबाई पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से अंलकृत हैं। 1992 में भारतरत्न डा. भीमराव अबेडंकर जन्मशताब्दी पर अंबेडकर के जीवन से संबंधित परिचर्चा, विचार-गोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा कवि सम्मेलन आदि कार्यक्रम का आयोजन हुआ था।

1995 नेशनल शेफ्टी कौंसिल, मध्य प्रदेश चैप्टर के रजत जयंती समारोह के अवसर पर भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स (बीएचएल), भोपाल में त्रि-दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। सेमिनार में बालको सांस्कृतिक मंडल द्वारा ‘असुरक्षित का जनाजा’ नामक नाटक प्रस्तुत किया था। नाटक की लोकप्रियता को देखते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय सेफ्टी कौंसिल में भी प्रस्तुत करने के लिए चुना गया था। बालको क्रिड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद ने 1998 में छठे लोक कला महोत्सव के अवसर पर भिलाई, बस्तर, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर तथा कोरबा आदि विभिन्न स्थानों के प्रसिद्ध कलाकारों ने भाग लिया था।

बालको ने सदैव ही स्थानीय कला एवं साहित्य को बढ़ावा दिया है। छत्तीसगढ़ के म्यूरल, गोंकरा एवं भित्ती कला एवं कर्मा नृत्य को प्रोत्साहित करने के लिए कंपनी ने अनेक मंच प्रदान किए है।

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