किसान आंदोलन की लगातार अनदेखी भारी पड़ेगी मोदी सरकार को

किसान आंदोलन की लगातार अनदेखी भारी पड़ेगी मोदी सरकार को
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रायपुर। प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी और प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला ने संयुक्त बयान में कहा है कि दिल्ली सीमा पर किसान आंदोलन के दौरान सैकड़ों आंदोलनरत किसानों की सांसे थम गयी लेकिन मोदी सरकार की तानाशाही खत्म नहीं हुयी। किसानों की ये अनदेखी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को बहुत भारी पड़ने वाली है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात की लेकिन भाजपा की केंद्र सरकार ने तो तीन काले कानून किसानों को बर्बाद करने के लिए लाए हैं जिनसे व्यापारियों को जमाखोरी करने किसानों की जमीन ठेके पर लेने और किसानों की उपज बिना समर्थन मूल्य के खरीदने की छूट मिल रही।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा किसान विरोधी कृषि कानूनों को वापस न लिए जाने की घोषणा को केंद्र सरकार की हठधर्मिता ठहराते हुए प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गिरीश देवांगन प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी और प्रभारी महामंत्री संगठन चंद्रशेखर शुक्ला ने कहा है कि यदि मोदी सरकार ने किसानों को बर्बाद करने वाले ये तीनों काले कानून लागू करने की ठान ही ली है तो किसानों और देश की जनता को मुगालते में रखने के लिये बातचीत की पेशकश बार-बार क्यों की जाती है? 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सारे वादों को मोदी सरकार ने भुला दिया है और लगातार किसान विरोधी फैसले लेने में मोदी सरकार लगी हुई है। कांग्रेस ने पूछा है कि स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का वादा करके सत्ता में आई मोदी सरकार ने कभी भी सी 2 लागत $ 50 प्रतिशत किसानों को देने के वादे को पूरा करने की दिशा में काम क्यों नहीं किया? 2021 पूरा होने जा रहा है लेकिन 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के वादे को पूरा करने की दिशा में काम करने की बात तो दूर मोदी सरकार तो किसानों से उनकी फसलों का समर्थन मूल्य प्राप्त करने का अधिकार और उनकी जमीन पर खेती करने का अधिकार भी छीनने में लगी हुई है। 2014 की लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में भाजपा ने कहा था कि किसानों के लिए स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश लागू की जाएगी लेकिन उसका आज तक अता पता नहीं। छल करने और झूठ बोलने के अपने चरित्र के चलते भाजपा ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का मूल रूप ही बदल दिया।

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