लॉकडाउन के दौरान मनरेगा से बैगा परिवारों को मिला सहारा : घाट कटिंग से सुदूर वनांचल क्षेत्रों में हुई आवागमन की सुविधा

लॉकडाउन के दौरान मनरेगा से बैगा परिवारों को मिला सहारा : घाट कटिंग से सुदूर वनांचल क्षेत्रों में हुई आवागमन की सुविधा
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रायपुर: लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी और काम ना मिलने के संकट से जूझ रहे ग्रामीणों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने बड़ा सहारा दिया है। इस दौरान खासकर सुदूर वनांचल के क्षेत्रांे में यह योजना किसी वरदान से कम नहीं है। कवर्धा जिले के पंडरिया विकासखंड के वनांचल गांव भेलकी और अधचरा गांवों मंे 140 बैगा जनजाति के परिवार निवासरत है। लॉकडाउन के दौरान मनरेगा योजना से घाट कटिंग के कार्य से इन परिवारों को न केवल रोजगार मिला बल्कि आवागमन की भी सुविधा हो गई।

लॉकडाउन के दौरान जहां सब कुछ बंद था काम का कोई साधन नहीं था। ऐसी स्थिति में जिला पंचायत द्वारा रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वित्तीय वर्ष 2020-21 में 18 लाख 17 हजार रुपए की लागत से अधचरा से भाकुर के बीच 2 किलोमीटर लंबाई की घाट कटिंग का कार्य स्वीकृत किया गया। अधचरा गांव में 93 परिवार रहते है, यहां के ग्रामीणों को मुख्यमार्ग पकड़ने के लिए 2 किलोमीटर पैदल पगडंडी से जाना पडता था, जिसकी चौड़ाई बहुत कम थी जिसमे बहुत गढ्ढे हो गए थे और पथरीले होने के कारण आवागमन बहुत मुश्किल था। मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम भाकूर है, घाट कटिंग होकर सड़क बन जाने से अधचरा एवं भाकुर के ग्रामीणों को आने-जाने में सुविधा होगी। अब यहां रास्ता पूर्ण होने की स्थिति में है जो दो गांव को एक दूसरे से जोड़ देगा।

अप्रैल माह से प्रारम्भ हुए इस कार्य में औसतन 180 पंजीकृत मजदूर प्रतिदिन काम कर रहे हैं, अब तक इसमें 5952 मानव दिवस रोजगार का सृजन किया जा चुका है। इस कार्य से ग्रामीणों को 10 लाख 19 हजार रुपये मजदूरी भुगतान हो चुका है। 11 सप्ताह तक चला यह कार्य अब लगभग पूर्ण होने की स्थिति में है। कवर्धा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि भेलकी के ग्रामीणों की मांग पर अधचरा से भाकुर के बीच में घाट कटिंग करने का काम महात्मा गांधी नरेगा योजना से स्वीकृत किया गया। वर्तमान में यह कार्य प्रगतिरत है जो कि बहुत जल्द पूर्ण हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस कार्य को करने में 140 परिवारों को रोजगार का अवसर मिला है तथा घाट कटिंग हो जाने से पहाड़ों के बीच आवागमन की सुविधा बैगा आदिवासियों को प्राप्त होगी। जो आसपास के लगभग 400 से अधिक की आबादी को सीधे लाभ पहुंचाएगा।

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