जानें, गृहयुद्ध की कगार पर क्यों खड़ा है इथियोपिया?

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इथियोपिया की प्रधानमंत्री अबी अहमद सरकार और टिगराय पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के बीच गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अभी तक कई सौ लोगों की मौत हो चुकी है और देश के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। दोनों पक्ष अपने समर्थकों को जुटाकर दुनिया के सामने खुद को सही साबित करने में लगे हैं। आदिस अबाबा सरकार और TPLF ने एक-दूसरे खिलाफ विवाद शुरू करने का आरोप लगाया है और PM अबी ने दावा किया है कि सेना के अधिकारियों की निर्मम हत्या की जा रही है। दूसरी ओर, टिगरायन नेता डेब्रेटसियन गेब्रेमाइकल का कहना है कि इथियोपिया की स्पेशल फोर्सेज और पड़ोसी इरिट्रिया के सैनिकों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से हमले को अंजाम दिया है। वहीं, रूस के विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों से संभालकर कदम उठाने को कहा था और उम्मीद जताई थी कि सरकार सही तरीको से शांति स्थापित करेगी।

Ethiopia Civil War: इथियोपिया के प्रधानमंत्री Abiy Ahmed और Tigray People’s Liberation Front (TPLF) के बीच जारी विवाद ने गृहयुद्ध की शक्ल ले ली है।

जानें, गृहयुद्ध की कगार पर क्यों खड़ा है इथियोपिया?

इथियोपिया की प्रधानमंत्री अबी अहमद सरकार और टिगराय पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के बीच गृहयुद्ध जैसे हालात पैदा हो गए हैं। अभी तक कई सौ लोगों की मौत हो चुकी है और देश के अस्तित्व पर ही खतरा मंडराने लगा है। दोनों पक्ष अपने समर्थकों को जुटाकर दुनिया के सामने खुद को सही साबित करने में लगे हैं। आदिस अबाबा सरकार और TPLF ने एक-दूसरे खिलाफ विवाद शुरू करने का आरोप लगाया है और PM अबी ने दावा किया है कि सेना के अधिकारियों की निर्मम हत्या की जा रही है। दूसरी ओर, टिगरायन नेता डेब्रेटसियन गेब्रेमाइकल का कहना है कि इथियोपिया की स्पेशल फोर्सेज और पड़ोसी इरिट्रिया के सैनिकों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से हमले को अंजाम दिया है। वहीं, रूस के विदेश मंत्रालय ने दोनों पक्षों से संभालकर कदम उठाने को कहा था और उम्मीद जताई थी कि सरकार सही तरीको से शांति स्थापित करेगी।

हवाई हमले में मारे गए हजारों
हवाई हमले में मारे गए हजारों

इतिहास पर नजर डालें तो 1974 की क्रांति के दौरान इथियोपिया के राजा हेली सेलासी को सत्ता से हटा दिया गया था। मिलिट्री जनता डर्ग ने कमान संभाली। इसके बाद ही ‘लाल आतंक’ शुरू हो गया जब हजारों युवाओं की सेना ने हत्या कर दी और देश में गृह युद्ध चलने लगा। एयर फोर्स यहां हर रोज बमबारी करती थी जिससे वे सिर्फ रात को ही बाहर निकलते थे। सबसे दर्दनाक घटना 1988 में हुई जब हॉसियान शहर में 1800 लोग एक हवाई हमले में मारे गए थे। साल 1991 में TPLF के नेतृत्व वाले इथियोपियन पीपल्स रेवलूशनरी डेमोक्रैटिक फ्रंट (EPRDF) ने सेना की सरकार को हरा दिया। EPRDF के 27 साल के शासन में शिशु मृत्युदर 20 में से 5 से गिरकर एक पर पहुंच गया था। सूखा खत्म हो गया और गृहयुद्ध भी।

27 साल का शासन ‘अंधकार’
27 साल का शासन 'अंधकार'

हालांकि, देश में लोकतंत्र नहीं आया और युवाओं को लगता रहा कि राजनीति में उनकी हिस्सेदारी नहीं है और राजनीति, सेना से लेकर अर्थव्यवस्था पर कुछ ही लोगों का नियंत्रण है। PM अबी 27 साल के शासन को अंधकार बताते हैं। ओरोमो समुदाय के अबी अहमद को EPRDF ने पहले पार्टी नेता और फिर 2018 में PM के तौर पर चुना। उन्होंने राजनीति को लिबरल बनाया। EPRDF को खत्म कर नई Prosperity Party बनाई। इससे वह काफी लोकप्रिय हुए। अबी ने इरिट्रिया के साथ शांति समझौता किया जिसके लिए उन्हें पिछले साल नोबेल का शांति पुरस्कार भी मिला और वह राष्ट्रपति इसाइयस अफवर्की के करीबी हो गए। (Photo: Debretsion Gebremichael)

बिना इजाजत चुनाव
बिना इजाजत चुनाव

PM अबी का कहना है कि TPLF ने सितंबर में क्षेत्रीय चुनाव आयोजित कर हद पार कर दी है। सरकार ने इन चुनावों की इजाजत नहीं दी थी और Prosperity Party चुनाव नहीं लड़ सकी। वहीं, TPLF का कहना है कि चुनाव पहले ही तय किए जा चुके थे लेकिन कोविड की वजह से स्थगित किए जा रहे थे और सरकार का कार्यकाल चुनाव की तारीख तय हुए बिना ही खत्म हो गया। संगठन का कहना है कि सिर्फ क्षेत्रीय सरकार ही लोगों के मत के आधार पर बनी है।

अबी के खिलाफ माहौल
अबी के खिलाफ माहौल

इथियोपिया के संविधान में फेडरल सिस्टम का प्रावधान है जिसके तहत स्थानीय समूह अपने क्षेत्र की सरकार चलाते हैं। इसे EPRDF के सरकार में आने के बाद अपनाया गया था जिसे PM अबी खत्म करना चाहते हैं। देश के क्षेत्रीय राज्यों को अपने चुनाव कराने का अधिकार है। यह प्रावधान इसलिए किया गया था कि अगर केंद्र में लोकतंत्र गिर जाए तो क्षेत्र अपने दम पर चलते रहें। इसकी मांग टिगरायन के साथ-साथ ओरोमो जैसे समूहों ने भी की। TPLF अलग होने की मांग नहीं कर रहा लेकिन मौजूदा विवाद से ऐसा ही कुछ हो सकता है। इस साल PM अबी ओरोमो के युवाओं के खिलाफ ही उतर आए हैं जो उन्हें सत्ता में लाए थे। ओरोमो गायक हचालू हुंडेसा की हत्या के बाद हुए दंगों में 150 लोगों की मौत हो गई और 10 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। (Photo:

Abiy Ahmed

)

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