घने अंधेरे में तेज चमकता बृहस्पति का चांद, मिलेगा जीवन का संकेत?

घने अंधेरे में तेज चमकता बृहस्पति का चांद, मिलेगा जीवन का संकेत?
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हमारे चांद की चांदनी और उसकी चमक के बारे में विज्ञान जगत से लेकर साहित्य तक में कई इबारतें लिखी जा चुकी हैं लेकिन ब्रह्मांड में एक और चांद भी है जल्द ही जिसकी खूबसूरती के चर्चे आम हो सकते हैं। जूपिटर (बृहस्पति) का चांद है Europa (यूरोपा)। बर्फ और महासागरों से भरे इस चांद के पर्यावरण के बारे में और ज्यादा जानने के लिए वैज्ञानिकों ने लैब में कई एक्सपेरिमेंट किए। जूपिटर यूरोपा की सतह पर भारी मात्रा में हाई-एनर्जी रेडिएशन इजेक्ट करता है। सतह पर टकराने से इनकी वजह से यूरोपा अंधेरे में भी चमकता है जिससे पैदा होता है एक बेहद खूबसूरत नजारा। (सभी तस्वीरें: NASA)

Moon of Juipter Europa: बृहस्पति की चांद यूरोपा से जुड़े एक्सपेरिमेंट में पाया गया है कि अंधेरे में रेडिएशन के कारण वह चमकता है। इसकी मदद से उसकी सतह पर मौजूद तत्वों का पता लगाया जा सकता है।

घने अंधेरे में तेज चमकता बृहस्पति का चांद Europa, मिलेगा जीवन का संकेत?

हमारे चांद की चांदनी और उसकी चमक के बारे में विज्ञान जगत से लेकर साहित्य तक में कई इबारतें लिखी जा चुकी हैं लेकिन ब्रह्मांड में एक और चांद भी है जल्द ही जिसकी खूबसूरती के चर्चे आम हो सकते हैं। जूपिटर (बृहस्पति) का चांद है Europa (यूरोपा)। बर्फ और महासागरों से भरे इस चांद के पर्यावरण के बारे में और ज्यादा जानने के लिए वैज्ञानिकों ने लैब में कई एक्सपेरिमेंट किए। जूपिटर यूरोपा की सतह पर भारी मात्रा में हाई-एनर्जी रेडिएशन इजेक्ट करता है। सतह पर टकराने से इनकी वजह से यूरोपा अंधेरे में भी चमकता है जिससे पैदा होता है एक बेहद खूबसूरत नजारा। (सभी तस्वीरें: NASA)

कहीं हरा, कहीं सफेद…
कहीं हरा, कहीं सफेद...

NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी के रिसर्च में इसके बारे में डीटेल में जानकारी मिली है। जूपिटर से आने वाले रेडिएशन का यूरोपा पर मौजूदी तत्वों पर अलग-अलग असर होता है जिससे अलग-अलग चमक पैदा होती है। कहीं जगहों पर यह हरा, कहीं नीला तो कहीं सफेद दिखता है और चमक की तीव्रता भी अलग-अलग होती है। वैज्ञानिकों ने स्पेक्ट्रोमीटर की मदद से रोशनी को अलग-अलग वेवलेंथ में बांटा। हर स्पेक्ट्रा के आधार पर बर्फ में मौजूद तत्वों का पता लगाया जा सकता है।

क्या यूरोपा पर है जीवन?
क्या यूरोपा पर है जीवन?

इस रिसर्च के लीड साइंटिस्ट मूर्ति गुडापति ने कहा है कि इससे यूरोपा पर जीवन की संभावनाओं का पता भी लगाया जा सकता है। दरअसल, यूरोपा पर भारी मात्रा में अंदरूनी महासागर है जो सतह पर बर्फ के रूप में आता है। सतह की रिसर्च से वैज्ञानिक नीचे के तत्वों पर गहन रिसर्च कर सकते हैं। खास बात यह रही कि आमतौर पर यह सूरज की रोशनी की मदद से किया जाता है लेकिन नए रिजल्ट्स में यह पता लगाया गया कि अंधेरे में यूरोपा कैसे चमकता है।

सतह पर है क्या?
सतह पर है क्या?

वैज्ञानिकों ने पहले के एक्सपेरिमेंट्स के आधार पर पाया है कि यूरोपा की सतह बर्फ और मैग्नीशियम सल्फेट (Epsom salt) और सोडियम क्लोराइड (Table Salt) से बनी हो सकती है। नई रिसर्च में पाया गया है कि यूरोपा जैसी कंडीशन में बर्फ में इन Salts और रेडिएशन की वजह से चमक पैदा होती है। अलग-अलग कंपोजीशन की बर्फ के साथ एक्सपेरिमेंट करने पर चमक भी अलग नजर आई। अब NASA 2020 के दशक में अपना मिशन Europa Clipper भेजने की तैयारी में है। इसकी मदद से यूरोपा की सतह पर रेडिएशन को स्टडी किया जाएगा।

हमारे चांद से अलग
हमारे चांद से अलग

इसके लिए JPL की टीम ने Ice Chamber for Europa’s High-Energy Electron and Radiation Environment Testing (ICE-HEART) तैयार किया। इसे मैरीलैंड की हाई-एनर्जी इलेक्ट्रॉनिक बीम फसिलिटी लाया गया और यहां यह देखने की कोशिश की गई कि यूरोपा की बर्फ के नीचे ऑर्गैनिक मटीरियल पर रेडिएशन का क्या असर होगा। इस दौरान पाया गया कि अलग-अलग बर्फ के कंपोजीशन पर अलग-अलग चमक देखी गई। हमारे चांद और जूपिटर के चांद में फर्क यही है कि हमारा चांद सूरज की रोशनी से चमकता है। इसलिए जब सूरज की रोशनी नहीं पड़ती, तब वह अंधेरे में रहता है लेकिन यूरोपा रेडिएशन की वजह से अंधेरे में चमकता है।

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