मिस्र के 4,500 साल पुराने पिरामिड में छिपा है 'रहस्यमय चेंबर', क्या है नई तकनीक जो खोलेगी कई राज?

मिस्र के 4,500 साल पुराने पिरामिड में छिपा है 'रहस्यमय चेंबर', क्या है नई तकनीक जो खोलेगी कई राज?
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गीजा
में गीजा का ग्रेट पिरामिड एक बार फिर एक बड़ी खोज का केंद्र हो सकता है। एक्सपर्ट्स का दावा है कि यहां एक रहस्यमय ‘अंदरूनी चेंबर’ मौजूद है। करीब 4500 साल पुराना पिरामिड गिजा पठार की तीन सबसे प्राचीन इमारतों में से सबसे बड़ा और सबसे पुराना है। माना जाता है कि इसे फिरौन खुफू ने 20 साल में बनवाया था।

दो साल पहले मिला था ‘Big Void’
ScanPyramids प्रॉजेक्ट के तहत ऐसी तकनीकों के इस्तेमाल से इसे स्टडी किया जा रहा है जिससे इमारत को नुकसान न पहुंचे। इससे यह पता लगाया जा रहा है कि यह इमारत कैसे बनाई गई और इसे बनाने में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया खा। करीब दो साल के काम के बाद फ्रांस के एक्सपर्ट्स ने ‘Big Void’ मिलने का ऐलान किया था। ग्रैंड गैलरी के ऊपर30 मीटर की इस जगह को पहले खाली माना जा रहा था। इस ऐलान के बाद अब जापान के रिसर्चर्स ने प्लान बनाया है कि कॉस्मिक किरणों की मदद से यह देखा जाएगा कि इस जगह पर आखिर है क्या।

जल्द पूरा होगा काम
इस प्रस्ताव के बारे में लीड रिसर्चर साकूजी योशीमूरा ने कहा, ‘पहले खोजी गई जगह पुरातत्व लिहाज से काफी ज्यादा बड़ी है। हमें उस खोज को वेरिफाई करना चाहते हैं।’ क्यूशू यूनिवर्सिटी की टीम ने जनवरी में इसका ऐलान किया था लेकिन कोरोना की महामारी के कारण इस काम पर ब्रेक लग गया। अभी यह नहीं बताया गया है कि मार्च तक की गई स्टडी में टीम के हाथ क्या लगा। हालांकि, जुलाई के बाद से मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें दोबारा शुरू कर दी हैं और पर्यटन स्थल भी खोल दिए हैं। इसके साथ ही पुरातत्व काम भी शुरू हो गए हैं। माना जा रहा है कि टीम अब जल्द ही अपना काम पूरा कर लेगी।

नई तकनीक का इस्तेमाल
क्योशो यूनिवर्सिटी में रेडिएशन मेट्रॉलजी के असोसिएट प्रफेसर तादाहीरो किन और दूसरे रिसर्चर्स का कहना है कि वह muon radiography नाम की तकनीक का इस्तेमाल करने वाले हैं जो एक्स-रे की तरह होता है। Muons सबअटॉमिक पार्टिकल होते हैं जो प्रोटॉन और दूसरी कॉस्मिक रेज के अटमॉस्फियर (वायुमंडल) से टकराने पर पैदा होते हैं। Muons 600 मीटर मोटी चट्टानों से गुजर सकते हैं।

ऐसे की जाएगी खोज
चट्टान की सघनता (density) के हिसाब से उससे गुजरने वाले Muons की संख्या बदल जाती है। इससे पिरामिड के अंदर के पत्थरों की चौड़ाई के बारे में पता चलेगा। नए डिटेक्टर की मदद से एक महीने तक Queen’s Chamber के अंदर इस विशाल ढांचे के निचले हिस्से को लोकेट किया जाएगा। इससे मिले डेटा को ड्रोन सर्वे से मिले डेटा से मिलाया जाएगा।

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